बाँदा : कुत्ते के काटने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा कोर्ट ने दिया स्थगनादेश
हाईकोर्ट प्रयागराज में कुत्ते के काटने का एक अजीबोगरीब मामला पहुंचा।इस मामले को हास्यास्पद मानते हुए खंडपीठ ने प्रतिवादी..
हाईकोर्ट प्रयागराज में कुत्ते के काटने का एक अजीबोगरीब मामला पहुंचा।इस मामले को हास्यास्पद मानते हुए खंडपीठ ने प्रतिवादी व मजिस्ट्रेट के जरिए दरोगा को 6 सप्ताह के अंदर जवाब देने का आदेश दिया है और तब तक सभी प्रोसेस को स्टे कर दिया है। यह मामला जनपद के तिंदवारी थाना क्षेत्र का है।
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बताते चलें कि-23 फरवरी 2019 थाना तिन्दवारी ने तीन कुत्तों और दो ब्यक्तियों के विरुद्ध प्रथम सूचना दर्ज की कि अभियुक्त अपने पालतू कुत्तों से उकसाकर कटवाते हैं, जो इनकी आदतन में है।विवेचक दरोगा रामबाबू यादव ने भारतीय सविंधान के सारे नियम कानून ताक पर रखकर सरसरी तौर पर चार्जशीट भी न्यायालय में दाखिल कर दी।मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने भी चार्जशीट को बगैर प्रसंज्ञान लिए सम्मन के जरिये अभियुक्तों को तलब कर लिया।जिससे क्षुब्ध होकर बुद्धि विकास और बुद्धि प्रकाश की तरफ उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत की गई।
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उच्च न्यायालय में दाखिल रिट याचिका सं.-16375ध2020 में ज्ञानेन्द्र सिंह एड.द्वारा और शैलेन्द्र सिंह परिहार एड.से सभी लोवर कोर्ट के तथ्य लेकर हाईकोर्ट में बहस की। बहस के बाद खण्ड पीठ में आदेश दिया कि -यह अपराध 324,289भा.दं.सं. के तहत अभियुक्तों पर बनता ही नहीं है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस मुकदमें को बहुत ही हास्यास्पद मानाऔर कहा कि जिस अपराध के लिए प्रार्थना पत्र उचित ही नहीं, उस पर भी दरोगा(विवेचक)ने चार्जशीट लागकर न्यायालय प्रेषित कर दिया और आश्चर्यजनक बात है कि मजिस्ट्रेट महोदय ने भी उसकों बिना देखे प्रसंज्ञान लेकर सम्मन भी जारी कर दिया।
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8 दिसम्बर2020 को खंडपीठ ने प्रतिवादी सं.-1 को व मजिस्ट्रेट के जरिये दरोगा से 6 सप्ताह के अन्दर जवाब मांगा है और अतिंम आदेश तक सभी प्रोसेस को स्टे कर दिया है।इस बारे में हाईकोर्ट के अधिवक्ता ज्ञानेंद्र सिंह एडवोकेट का मानना है दरोगा द्वारा जो धाराएं 289, 324 अभियुक्तों पर लगाई गई है वह धाराएं लगाई ही नहीं जा सकती।परंतु इस ओर न दरोगा ने ध्यान दिया और न ही न्यायालय ने संज्ञान लिया।