कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को, 450 बच्चों का आयुर्वेदिक टीकाकरण

सोमवार को मण्डी समिति में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में ‘‘निःशुल्क स्वर्ण बिन्दु प्राशन शिविर’’ का आयोजन किया गया जिसमें शून्य..

कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को, 450 बच्चों का आयुर्वेदिक टीकाकरण
कोरोना की तीसरी लहर

सोमवार को मण्डी समिति में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में ‘‘निःशुल्क स्वर्ण बिन्दु प्राशन शिविर’’ का आयोजन किया गया जिसमें शून्य से 16 वर्ष तक के 450 बच्चों को आयुर्वेदिक स्वर्ण बिंदु की ड्राप की दों बूॅंदें पिलाकर आयुर्वेदिक टीकाकरण किया गया।

 कार्यक्रम का उद्घाटन चित्रकूटधाम मण्डल के मण्डलायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने दीप प्रज्जवलन एवं भगवान धंवंतरि का पूजन करके किया। स्वर्ण प्राशन का शुभारंभ मण्डलायुक्त द्वारा प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. नीरज सोनी के 6 माह के पुत्र को स्वर्ण बिंदु की ड्राप पिलाकर किया गया। मण्डलायुक्त एवं क्षेत्रीय  शिविर में डा. ऊषा अहिरवार ने महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया, जिसमें इंटर्न कल्पना सिंह ने सहयोग प्रदान किया।

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शिविर में सुबह से ही बच्चों और उनके अभिभावको की भारी भीड़ इकठ्ठी होने लगी। जनता में स्वर्ण प्राशन को लेकर जबरजस्त उत्साह देखा गया। चिकित्सालय कर्मचारी भीड़ को नियंत्रित करते एवं कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने के लिये जूझते हुये नजर आये। बच्चों को स्वर्णप्राशन कराकर टाफी एवं बिस्किट बाॅंटी गई। अभिभावकों को कोरोना से बचाव के लिये डा0 नीरज सोनी द्वारा तैयार कराया गया इम्यूनिटी वर्धक आयुष क्वाथ के पैकटों का निःशुल्क वितरण किया गया।

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सभी आगंतुको के लिये स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। चिकित्सालय में तैनात फार्मेसिस्ट राजेन्द्र बाबू मिश्रा, वार्ड ब्वाय चंद्रपाल, वार्ड आया जमुना देवी, स्वच्छक राजू एवं सुनील कुमार, राजरानी, अंशिका आदि ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में आयुकल्प फार्मा प्रा. लि. की ओर से सेल्स अफीसर अखिलेश सविता एवं दिनेश कुमार शुक्ला आरएसएम उपस्थित रहे एवं वित्तीय सहयोग भी किया।

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क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. नीरेन्द्र बहादुर सिंह ने मण्डलायुक्त को अंगवस्त्र, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। डा. सोनी ने जानकारी दी कि यह शिविर हर महीने पुष्य नक्षत्र वाले दिन आयोजित किया जायेगा।

स्वर्ण बिंदु प्राशन के संबंध में विस्तार से बताते हुये अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. नीरज सोनी बताया कि एैलोपैथिक टीकों की खोज तो बहुत बाद में हुयी, आयुर्वेद में तो हजारो साल पहले से टीकाकरण का ज्ञान हमारे ऋषि-मुनियों था और बच्चा पैदा होते ही तुरंत सबसे पहले बच्चे को सोना घिसकर चटाया जाता था। पाॅच से छह खुराक लेने के बाद इसका असर दिखने लगता है। स्वर्ण प्राशन की खुराक बाजार में भी श्री ध्ूतपापेश्वर आदि कंपनियों की उपलब्ध है जिसकी कीमत 150/- प्रति खुराक तक होती है।

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