पुरुषों की नसबंदी के लिए प्रेरित कर आशा संगिनी बनी मिसाल,विभाग में वाहवाही

परिवार नियोजन संबंधी कार्यक्रमों को जमीन पर उतारने में आशा संगिनी की भूमिका काफी अहम होती है। ऐसी ही एक आशा...

पुरुषों की नसबंदी के लिए प्रेरित कर आशा संगिनी बनी मिसाल,विभाग में वाहवाही

परिवार नियोजन संबंधी कार्यक्रमों को जमीन पर उतारने में आशा संगिनी की भूमिका काफी अहम होती है। ऐसी ही एक आशा संगिनी जो न सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी स्थायी साधन अपनाने में प्रेरित कर रही हैं। इनकी मदद से इस वर्ष जुलाई से अब तक 12 पुरुषों ने नसबंदी को अपनाया है। जसपुरा की रहने वाली सरोज सोनी का वर्ष 2008 में आशा कार्यकर्ता के रूप में चयन हुआ था।

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उनके बेहतर कार्यों को देखते हुए 2014 में आशा संगिनी के पद पर तैनात कर दिया गया। वह अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं को उनके काम में सहयोग प्रदान करने के साथ ही परामर्श भी देती हैं। उनके दस्तावेजीकरण कार्य में उन्हें सहयोग भी प्रदान करती हैं। सरोज का कहना है कि परिवार नियोजन स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके तहत महिला व पुरुष नसबंदी सेवा के साथ ही गर्भ निरोधक के अन्य साधन मुहैया कराए जाते हैं। विभाग द्वारा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के साथ ही परिवार नियोजन कार्यक्रम का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। 

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सरोज बताती हैं कि ग्रामीण परिवेश में नसबंदी पर बात करना बहुत मुश्किल होता है। किसी महिला से परिवार नियोजन पर बात करने में सहयोग कम मिलता था। पुरुषों को नसबंदी के लिए राजी करना तो काफी मुश्किल काम महसूस होता था। हमने पहले लोगों को छोटा व खुशी परिवार की खूबियां बताना शुरू किया। क्या महिला, क्या पुरुष सभी योग्य लाभार्थी की काउंसिलिग की। उसका नतीजा रहा कि जुलाई से अब तक 12 पुरुषों को नसबंदी के लिए राजी किया। अस्पताल ले जाकर उनकी नसबंदी भी कराई। शुरू में थोड़ी समस्या थी, लेकिन जागरूकता बढ़़ने के साथ ही परिवार नियोजन के साधन अपनाने में अब लोग ज्यादा सहयोग कर रहे हैं।

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उनके कार्यों में जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ धर्मराज त्रिपाठी व ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम) का बहुत सहयोग मिलता है। इस बारे में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉ. आरएन प्रसाद का कहना है कि कुछ लोगों में भ्रांति है कि पुरुष नसबंदी से यौन इच्छा एवं क्षमता पर असर पड़ता है। यह भ्रांति निराधार है। ऐसा कुछ भी नहीं है। पुरुष नसबंदी में केवल शुक्राणुवाहक नलिकाओं को बांध दिया जाता है। यौन इच्छा एवं क्षमता पहले की ही तरह बनी रहती है।

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