आखिर क्या है वजह जो बांदा जिले के पास इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए नहीं मिल रही जमीन !

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के समीप ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रस्तावित है। जिसके लिए प्रशासन द्वारा बबेरू तहसील...

आखिर क्या है वजह जो बांदा जिले के पास इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए नहीं मिल रही जमीन !

बांदा जनपद में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के समीप ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रस्तावित है। जिसके लिए प्रशासन द्वारा बबेरू तहसील अंतर्गत 528 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई थी। जिसे यूपीडा अधिकारियों ने देखने के बाद नापसंद की है। वही बिसंडा क्षेत्र के किसानों ने अपने क्षेत्र में प्रस्तावित इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने का विरोध जिला अधिकारी से मिलकर, कटोरे में धान लेकर किया है।

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यूपीडा द्वारा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए कृषिभूमि चिन्हित किए जाने से भयभीत बिसंडा के किसान आज मुख्यालय में जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी से मिले। वहां पैदा होने वाले धान से बने चावल को लेकर किसानों ने जिलाधिकारी से अपनी खेती बचाने की मांग की।

किसानों ने जिलाधिकारी से बताया कि उनके संज्ञान में आया है कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे के 25-26 किमी उत्तर एवं अतर्रा - बिसंडा मार्ग से पश्चिम की ओर की कृषि भूमि प्रस्तावित की जा रही है। जो बांदा जनपद के सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र में से एक है। जो दोनो ओर से केन कैनाल से आच्छादित है तथा इस हिस्से में दर्जनों बोर वेल्स हैं। जिन पर सरकारी विद्युत कनेक्शन हैं। यह प्रायः तीन फसली कृषिभूमि है।

यह इलाका खाद्यान्न उत्पादन में अग्रणी है। बिसंडा और अतर्रा क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है। इस क्षेत्र में धान की बहुतायत खेती होती है। इन किसानों की जमीनी पहले ही बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में ली जा चुकी है, बची खुची जमीन भी अगर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में चली जाएगी तो यह किसान भूमिहीन हो जाएंगे।

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किसानों ने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 17 नवम्बर 2022 की बैठक के सुझाव के मुताबिक इटरवेज से 10 किमी. तक की सीमा में अनुपयोगी, बंजर अनुपजाऊ, असिंचित और एकफसली भूमि की पहचान की जाये, ताकि खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित न हो और कृषक परिवार अपने परम्परागत पेशे से बेदखल न हों।

किसानों ने बताया कि क्सप्रेस वे का निर्माण एक सार्वजनिक लोक कल्याण का विषय था। जिसके लिए सभी स्थानीय किसानों ने अपनी भूमि बिना शर्त दी है, किन्तु इण्डिस्ट्रियल कॉरीडार एक व्यवसायिक प्रोजेक्ट है। जहाँ विभिन्न औद्योगिक समूहों द्वारा लाभार्जन किया जायेगा।

अतः इसके लिए भूमि अधिग्रहण में भूमिधर किसानों की समस्याओं और शर्ताे का ख्याल रखा जाये। किसानों ने सुझाव दिया कि प्रस्तावित भूमि से 2 किमी पश्चिम की ओर बड़ी मात्रा में अनुपजाऊ, बंजर और एकफस्ली जमीन उपलब्ध है। जो ग्राम सभा घूरी, उमरेंहड़ा आदि के अंतर्गत हैं। वहां के किसान पर्याप्त मुआवजे के साथ इसके लिए सहर्ष तैयार होंगे। 

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 जिलाधिकारी ने इस मसले पर किसानों को ठोस आश्वासन दिया कि उक्त कृषि भूमि को नहीं लिया जाएगा, जिससे किसानों के चेहरे खिल गए। किसानों के प्रतिनिधिमंडल में डीसीडीएफ अध्यक्ष सुधीर सिंह, बीजेपी मंडल अध्यक्ष रंजीत सिंह, विनोद अग्रवाल, राजीव सिंह, विमल सिंह सभासद, हनुमान अग्रवाल सभासद, प्रदीप सिंह, देवदत चौबे  सहित अनेकों किसान शामिल थे।

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बतातें चलें कि उप्र औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आईएएस अरविंद कुमार ने दो दिन पहले बबेरू तहसील के मुरवल में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए चिह्नित 528 हेक्टेयर जमीन देखी। इंडस्ट्रीज के लिए मूलभूत सुविधाएं न होने पर कॉरिडोर के लिए वहां की जगह पसंद नहीं आई। उनके साथ यूपीडा के सीजीएम एसके श्रीवास्वत, चीफ इंजीनियर सलिल यादव, एप्को के प्रोजेक्ट मैनेजर गोविंद सारस्वत भी थे।

एक्सप्रेस-वे पर पौधरोपण कार्य धीमा मिलने पर तेजी लाने के निर्देश दिए। इसके बाद एक्सप्रेस-वे का स्थलीय निरीक्षण करते हुए बिसंडा पहुंचे। यहां बबेरू तहसील के मुरवल और देवरथा गांव गए। जहां स्थानीय प्रशासन की ओर से 528 हेक्टयर भूमि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के चिह्नित की गई है। सीईओ ने दोनों गांव में चिह्नित भूमि को देखा। वहां आसपास इंडस्ट्रीज के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं मिलीं। न तो इंडस्ट्रीज के लिए 132 केवी लाइन थी, न ही अच्छे स्कूल आदि स्थापित मिले। एक्सप्रेस-वे से दोनों गांव की भूमि भी काफी दूर थी। ऐसे में दोनों जगह की जमीन को कैंसिल कर दिया। 

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