12वें दीक्षांत समारोह में 438 स्नातक, 335 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने प्राप्त की उपाधि
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के दीक्षांत प्रांगण में परम्परागत ढंग...
समृद्धि के शिखर पर माता, पिता, समाज और देश को न भूलें : राज्यपाल
ग्राम दर्शन को देख अभिभूत हुए कुलाधिपति एवं उच्च शिक्षा मंत्री
चित्रकूट। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के दीक्षांत प्रांगण में परम्परागत ढंग से सम्पन्न हुआ। कुलाधिपति और दीक्षांत समारोह के अध्यक्ष मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने 26 छात्रों को शोध उपाधि व 32 उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पदक और एक विद्यार्थी को नानाजी मेडल मंच से प्रदान किया। समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने दीक्षांत उद्बोधन दिया। कुलगुरू प्रो भरत मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उपाधि धारकों को दीक्षांत शपथ भी दिलाई। दीक्षांत शोभायात्रा का नेतृत्व कुलसचिव नीरजा नामदेव ने किया।
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दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति मंगु भाई पटेल ने नानाजी के कार्यों को स्मरण किया। उन्होंने उपाधि धारकों से कहा कि ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे समाज या राष्ट्र का अहित हो। कहा कि नौकरी और बड़े पद पायें, लेकिन ये याद रखें कि इस मुकाम तक पहुॅंचाने वाले माता-पिता, समाज, देश और शिक्षक हैं। समृद्धि और सफलता के शिखर पर पहूॅंचकर इन्हें कभी न भूलें। समृद्धि पुरूषार्थ से सभी को मिल सकती है पर उनकी इच्छा यह है कि समृद्धि के साथ उदारता को भी प्राप्त करें। आज के समय में लक्ष्य से भटकाने वाले बहुत से आकर्षण समाज में हैं। इनसे बचकर अपना समय और शक्ति राष्ट्र और स्वकल्याण में लगायें।
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मप्र शासन के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले दीक्षांत समारोह ऐसे हुआ करते थे जैसे अपने देश में न होकर विदेश में हो रहें हो। यह भारतीयता का स्वरूप सबको लुभाने वाला है। इस नवाचार के लिए विश्वविद्यालय बधाई के योग्य है। भारतीयता और भारतीय मूल्य उच्च शिक्षा के मूल में रहें यही नानाजी का चिंतन था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीयता से अनुप्राणित शिक्षा व्यवस्था दी है। मध्य प्रदेश ने इसे समग्रता से लागू करने में सफलता प्राप्त की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने कुलाधिपति के योगदान की सराहना की। उपाधि एवं पदक प्राप्ति के साथ उन्होने उपाधि धारकों से नानाजी के आदर्शो को अपने साथ समाज में ले जाने की जरूरत बताते हुए इस दिशा में संकल्प लेने की पैरवी की।
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विश्वविद्याय के कुलगुरू प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा, शोध, प्रसार और प्रशिक्षण के परम्परागत आयामों के साथ संसाधन सृजन का नया आयाम जुडा है। विश्वविद्यालय ने तीन दशकों की अपनी उपलब्धि पूर्ण यात्रा में इन सभी आयामों पर महत्वपूर्ण काम किया है। लोकार्पित प्रकल्प ग्राम दर्शन के बारे में उन्होने कहा कि यह विद्यार्थियों की रचनात्मक सक्रियता का जीवन्त प्रमाण है। ग्राम दर्शन प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन है। इस अवसर पर कुलगुरू ने कुलाधिपति एवं उच्च शिक्षा मंत्री को स्मृति चिन्ह के रूप में रामलला की सुन्दर प्रतिमा भेंट की। मंच पर ही ललित कला के छात्रों ने अतिथि द्वेय को उनके प्रोटेट आकार के रंगीन चित्र भेंट किए। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और शाल श्रीफल से हुआ।
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दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के मुखपत्र ग्रामोदय संदेश की प्रतियों का वितरण किया गया। जिसमें विवि मौजूदा गतिविधियों को सुरूचिपूर्ण ढंग से रखा। इस अवसर पर शिक्षक डॉ रमेश चन्द्र त्रिपाठी, डॉ जय शंकर मिश्र, डॉ उमाशंकर मिश्रा, डॉ राकेश श्रीवास्तत, डॉ उमेश शुक्ला, डॉ अभय कुमार वर्मा की पुस्तकों का विमोचन भी सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह का संचालन डॉ ललित कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर उपाधि और मेडल पाने वाले विद्यार्थी, अभिभावक, गणमान्य नागरिक, प्रशासनिक अधिकारी, ग्रामोदय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।