बांदा कृषि विश्वविद्यालय, में शुरू हुआ वन प्रबंधन विषयक 21 दिवसीय आनलाईन प्रशिक्षण

बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा में ‘‘प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए वन प्रबंधन’’ विषयक 21 दिवसीय आनलाई..

बांदा कृषि विश्वविद्यालय, में शुरू हुआ वन प्रबंधन विषयक 21 दिवसीय आनलाईन प्रशिक्षण
बांदा कृषि विश्वविद्यालय (Banda Agricultural University)

बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा में ‘‘प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए वन प्रबंधन’’ विषयक 21 दिवसीय आनलाईन प्रशिक्षण शुरू हुआ। जिसमें कुलपति डा. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने बुंदेलखंड क्षेत्र और उत्तर प्रदेश में मानव व वन्यजीव पर हो रहे संघर्ष के बारे में विस्तार से चर्चा की और संकाय सदस्यों से विश्वविद्यालय परिसर के अन्दर वन्यजीवों के संरक्षण एवं उनके अस्तित्व को बचाने हेतु हर सम्भव प्रयास का आग्रह किया।

यह भी पढ़ें - नानाजी देशमुख के संकल्प को कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के साथ मिल कर पूरा करने का संकल्प

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जी.आर.राव, निदेशक, उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआई), जबलपुर, मध्यप्रदेश ने भारत में वन क्षेत्र के बारे में विस्तार से बताया व 17 सतत विकास लक्ष्यों और वैज्ञानिक तथ्यों पर जोर दिया। आयोजन समिति के अध्यक्ष व अधिष्ठाता, वानिकी महाविद्यालय, डॉ संजीव कुमार ने स्वागत भाषण व 21 दिनों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित संगठनों के कुल 34 प्रतिभागियों को वानिकी क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इनमें करीब 40 फीसदी महिलाएं और 60 फीसदी पुरुष हैं। सत्र की शुरुआत प्रतिभागियों के परिचय के साथ हुई। देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के विषय विशेषज्ञ 23 मार्च, 2022 तक वानिकी क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे। आज के वक्ता डा. धनन्जय मोहन, निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भारत में वन्यजीव संरक्षण एवं भविष्य की संभावनायें पर अपना व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में, उन्होंने भारत के वन्यजीव अनुसंधान और संरक्षण में एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान किया।

यह भी पढ़ें - विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे शोध कार्य बुन्देलखण्ड की दशा और दिशा बदल सकते है : कुलपति

दूसरा व्याख्यान डॉ रमेश सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, एनआरएम, आईसीआरआईएसएटी, हैदराबाद द्वारा शुष्क भूमि एवं एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर दिया। अपने व्याख्यान में, डॉ सिंह ने प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता में चुनौतियों और अनुसंधान अन्तराल और बेहतर मानव कल्याण के लिए उनके आगे के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया।

बांदा कृषि विश्वविद्यालय (Banda Agricultural University)

पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. ऐश्वर्या माहेश्वरी, सहायक प्राध्यापक, वन्यजीव विज्ञान विभाग के नेतृत्व में यह आयोजन कराया जा रहा है। डॉ मोहम्मद नासिर, सहायक प्रोफेसर, वन उत्पाद उपयोग विभाग, डॉ कौशल सिंह, सहायक प्रोफेसर, सिल्वीकल्चर और कृषि वानिकी विभाग, डॉ अरबिंद कुमार गुप्ता, सहायक प्रोफेसर, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विभाग इस 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक हैं। उद्घाटन सत्र के दौरान संकाय सदस्य डॉ बी एस राजपूत, डॉ चंद्रकांत तिवारी, डॉ दिनेश गुप्ता, इंजीनियर संजय उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें - प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का बांदा कार्यक्रम रद्द

What's Your Reaction?

like
1
dislike
0
love
1
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0