विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे शोध कार्य बुन्देलखण्ड की दशा और दिशा बदल सकते है : कुलपति

शोध कार्याे के माध्यम से हम क्षेत्रानुकूल तकनिकियां विकसित कर सकते है। वैज्ञानिक बुन्देलखण्ड आधारित, क्षेत्रानुकूल जलवायु अनुरूप फसलो..

विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे शोध कार्य बुन्देलखण्ड की दशा और दिशा बदल सकते है : कुलपति

शोध कार्याे के माध्यम से हम क्षेत्रानुकूल तकनिकियां विकसित कर सकते है। वैज्ञानिक बुन्देलखण्ड आधारित, क्षेत्रानुकूल जलवायु अनुरूप फसलो का चुनाव कर आधुनिक शोध मे समाहित करे। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको द्वारा उच्च कोटि के शोध कार्य संपादित किये जा रहे है।

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हमे शोध के और घटको को शामिल कर इसे और आधुनिक करने के बारे मे सोचना होगा। विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे शोध कार्य बुन्देलखण्ड की दशा और दिशा बदल सकते है। यह बात आज सोमवार को बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा के कुलपति डॉ. नरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा विश्वद्यिालय के शोध प्रक्षेत्र एवं सम्पादित हो रहे कार्याे के निरीक्षण के दौरान कही।  

विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा शोध प्रक्षेत्रों पर सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स आन ड्राईलैण्ड एग्रीकल्चर परियोजना के तहत् लगाई गई मसूर, चना, अलसी, अरहर, के आनुवांशिक सुधार पर आधारित परीक्षणों का निरीक्षण किया गया। साथ ही साथ इस परियोजना में फसल प्रणाली, संतुलित उर्वरक प्रयोग आदि पर आधारित परीक्षणों एवं अखिल भारतीय समन्वित खरपतवार प्रबन्धन तथा चारा शोध परियोजनाओं का भी निरीक्षण किया।

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निरीक्षण के दौरान कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय के सम्बन्धित वैज्ञानिकों को अनेक तकनीकी सुझाव भी दिये गये तथा बुन्देलखण्ड़ के कृषि जलवायु एवं सामाजिक आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुये शोध योजना बनाने का निर्देश दिये। उन्होनें प्रमुख दलहनी तिलहनी तथा धान्य फसलों को बुन्देलखण्ड के जलवायु के अनुरूप अथवा सिमित सिचाई के अंतर्गत शोध परीक्षण करने पर बल दिया। फसल सुधार कार्यक्रम के तहत् अलसी, चना व मसूर फसलों में रोग, सूखा एवं ताप सहिष्णुता के उद्देश्य से लगाये गये जननद्रव्य मूल्यांकन परीक्षण को बारीकी से निरीक्षण करते हुये कुलपति ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को कई दिशा निर्देश दिये।

परीक्षणों एवं प्रायोगिक फसलों के उचित प्रबन्धन को देखकर कुलपति ने संतोष व्यक्त किया तथा प्रक्षेत्र को अधिक आकर्षक एवं अवलोकनीय बनाने को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये गये। निरीक्षण के दौरान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. जी.एस. पवांर, डा. अखिलेश मिश्रा निदेशक शोध, डा. मुकुल कुमार अधिष्ठाता (स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम), और विभिन्न विभागों के प्राध्यापक डा. धर्मेन्द्र कुमार, डा. दिनेश साह, डा. राकेश पाण्डेय,  डा. आनन्द कुमार चौबे, डा. अखिलेश कुमार सिंह, डा. अरूण कुमार आदि उपस्थित थे।

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