112 साल पुराने बुन्देलखण्ड का नियाग्रा फॉल अब विश्व धरोहरों की सूची में शामिल
झांसी के सुकुवां-ढुकुवां बांध अब विश्व धरोहरों की सूची में शामिल हो गया है।इस बांध को देश की सबसे पुरानी एवं बेहतरीन इंजीनियरिंग..
झांसी के सुकुवां-ढुकुवां बांध अब विश्व धरोहरों की सूची में शामिल हो गया है। इस बांध को देश की सबसे पुरानी एवं बेहतरीन इंजीनियरिंग वाली सिंचाई परियोजना के तौर पर चयनित किया गया। हैइरिगेशन श्रेणी में विश्वस्तरीय संगठन इंटरनेशनल कमीशन ऑन इरिगेशन एंड ड्रेनेज (आईसीआईडी) ने इसका चयन विश्व धरोहर के तौर पर किया है।
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कमिशन द्वारा पिछले वर्ष उन जलाशयों को चिन्हित किया था, जो 100 साल के बाद भी काम कर रही हैं। करीब 112 वर्ष पुराने सुकुवां ढुकुवां बांध आज भी अपनी खूबसूरती और बेहतरीन इंजीनियरिंग के चलते देश के चुनिंदा जलाशयों में शुमार है। इसका निर्माण 1905 में शुरू किया गया था और महज 4 वर्षों बाद 1909 में इसको बनाकर तैयार कर लिया गया था।
इस बांध का निर्माण बुंदेलखंड की पीने के पानी और सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए किया गया था। लगभग 3845 फीट लंबे और 50 फीट ऊंचे इस बांध में एक समय में 3759 मिलियन क्यूबिक फीट पानी जमा किया जा सकता है। 383 फॉलिंग शटर गेट और तीन बड़े गेट बनाए गए थे ताकि बारिश के समय में अतिरिक्त पानी को निकाला जा सके।
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इस बांध की मदद से ही झांसी को पीने का पानी मिलता है.इस बांध पर 24 मेगा वाट का एक हाइड्रो प्लान बनाया गया है। जिससे एक साल में लगभग 17 मिलियन यूनिट बिजली बनती है।
झांसी का यह सुकुवां ढुकुवां बांध झांसी के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.चाहे नव वर्ष हो या मॉनसून की छुट्टियां लोगों की भीड़ यह हमेशा बनी रहती है.विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने के बाद यह बांध पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक विकसित होगा ऐसा माना जा रहा है।
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