बुंदेलखंड में दलहन की खेती का नीचे गिरा ग्राॅफ
बुंदेलखंड कभी अरहर की बंपर पैदावार के लिए हब माना जाता था लेकिन अब पिछले कई सालों से इसकी...
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अब धान और गेहूं की खेती का लगातार बढ़ रहा दायरा
हमीरपुर। बुंदेलखंड कभी अरहर की बंपर पैदावार के लिए हब माना जाता था लेकिन अब पिछले कई सालों से इसकी खेती दैवीय आपदा की भेंट चढ़ रही है। हर साल अरहर की खेती को बेमौसम बारिश से तगड़ा झटका लगने से अब किसानों का इस फसल से मोह भंग हो रहा है। इसीलिए गेहूं की खेती का अब लगातार दायरा बढ़ रहा है। अरहर की खेती का ग्राॅफ नीचे गिरने से कृषि डिपार्टमेंट के अधिकारी भी चिंतित हैं।
बुंदेलखंड पूरे प्रदेश में दो दशक पहले अरहर की दाल की सप्लाई करने वाला हब माना जाता था लेकिन अब यहां क्षेत्र के किसानों को अरहर की दाल के लाले ही पड़े है। संतोष सिंह, निंरजन सिंह राजपूत व सुरेश सिंह समेत तमाम किसानों का कहना है कि सिंचाई के संसाधन की बड़ी कमी के कारण बुंदेलखंड क्षेत्र खरीफ में दलहनी की खेती का ग्राॅफ अब नीचे गिर रहा है। कभी सत्तर फीसदी जमीन पर दलहन की खेती यहां होती थी। अकेले हमीरपुर जिले में ही तीन लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसलों की बोआई कराए जाने का टारगेट रखा गया था मगर सिर्फ दो लाख हेक्टेयर में ही खरीफ की फसलें बोई गई हैं।
यहां क्षेत्र में काफी बड़े क्षेत्र की जमीन में बोआई नहीं हो पाती है। खरीफ में धान की फसलें इस बार तीस हजार हेक्टेयर में धान की बोआई हुई है वही ग्यारह हजार हेक्टेयर में ज्वार, अंठानवें हेक्टेयर में बाजरा की बोआई किसानों ने की है। उपनिदेशक कृषि हरीशंकर भार्गव ने बताया कि शासन से बीस हजार से अधिक हेक्टेयर में अरहर की बोआई कराने का टारगेट मिला था जिसमें किसानों ने इसकी बोआई की है। बताया कि दलहनी फसलें छियालीस हजार हेक्टेयर एरिया में बोई गई है। दो दशक पहले दलहनी फसलों की बोआई डेढ़ लाख हेक्टेयर में हुई थी।
अरहर की बंपर पैदावार का बुंदेलखंड रहा है हब
उपनिदेशक कृषि हरीशंकर भार्गव का मानना है कि अरहर समेत दलहनी फसलों के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र कभी हब माना जाता था लेकिन यहां इसकी खेती का ग्राॅफ नीचे गिर रहा है। पहले डेढ़ लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती होती थी लेकिन अब पच्चीस फीसदी एरिया में इसकी खेती हो रही है। प्रगतिशील किसान बलराम दादी ने बताया कि अब किसानों का अरहर की खेती से मोह भंग हो गया है। किसान गेहूं की खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे है।
दैवीय आपदा से हर साल दलहनी फसलों को लगता है झटका
हमीरपुर जिले के प्रगतिशील किसान बलराम दादी व ओमप्रकाश व चन्द्रपाल ने बताया कि हर साल खरीफ की फसलें दैवीय आपदा की भेंट चढ़ जाती है। बेमौसम बारिश होने से दलहनी फसलों को बड़ा नुकसान होता है। इसीलिए किसान अब गेहूं की फसलों की तरफ ज्यादा रुचि ले रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसम मूसलाधार बारिश ने बुंदेलखंड क्षेत्र में तिल समेत दलहनी फसलों को तगड़ा झटका दिया है जिससे बड़ी संख्या में किसान मायूस हैं।
हिन्दुस्थान समाचार
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