गर्मी में प्यासे राहगीरों का सहारा बनी बांदा नगर पालिका
प्यासे को पानी पिलाने से बड़ा उपकार जीवन में और कोई नहीं
गर्मी में प्यासे राहगीरों का सहारा बनी बांदा नगर पालिका....
बांदा, भूखे को भोजन और प्यासे को पानी पिलाने से बड़ा उपकार जीवन में और कोई नहीं हो सकता है। जीवन की मूलभूत आवश्यकता पहले भोजन और पानी है। इस समय गर्मी पड़ रही है, चिलचिलाती धूप में अगर प्यासे को पानी न मिले तो व्यक्ति लू की चपेट में आ सकता है। इस खतरे को भांपते हुए नगर पालिका परिषद बांदा की अध्यक्ष मालती गुप्ता बासु ने शहर के मुख्य स्थानों पर निशुल्क प्याऊ की व्यवस्था की है ताकि कोई भी व्यक्ति प्यासा न रहे। उनके इस कार्य की प्यास बुझाने वाले राहगीर मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं।
पहले गर्मी के दिनों में लोग अपने पूर्वजों की स्मृति में निशुल्क प्याऊ व्यवस्था करते थे। जिससे गर्मी के दिनों में राह चलते लोगों को आसानी से पीने का पानी उपलब्ध हो जाता था। इसी तरह तमाम स्वयंसेवी संगठन भी इस कार्य में हाथ बंटाते थे। लेकिन अब इस दिशा में लोगों की जागरूकता में कमी आई है। वहीं इस मामले में नगर पालिका परिषद बांदा की अध्यक्ष मालती गुप्ता ने सक्रियता दिखाते हुए राहगीरों के लिए निशुल्क प्याऊ की व्यवस्था की है। इसके अंतर्गत महाराणा प्रताप चौक, जजी परिसर, रोडवेज बस स्टैंड, कालू कुआं चौराहा, बाबूलाल चौराहा, रेलवे स्टेशन के सामने, रामलीला मैदान और कोतवाली के सामने निशुल्क प्याऊ खोले गए हैं। जिसमें मिट्टी के खड़े रखवा कर प्रतिदिन ताजा पानी भरवाया जाता है। साथ ही प्यासे को पानी पिलाने के लिए कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई। इन प्याऊ के माध्यम प्रतिदिन हजारों लोग ताजा शीतल पानी पीकर नगर पालिका की इस व्यवस्था की लिए सराहना कर रहे हैं।
प्यासे को पानी पिलाना पुण्य कार्य है। इतिहास गवाह है कि पहले राजा महाराजा भी राहगीरों को पानी पिलाने के लिए कुंए तालाब और बावड़ी की व्यवस्था करते थे। आज भी प्यासे राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए स्वयंसेवी संगठन और उन दानदाताओं को हाथ आगे बढ़ना चाहिए जो धार्मिक और सामाजिक कार्यों में अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा दान में देते हैं।
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बताते चलें कि इस समय गर्मी में राह चलते लोगों को प्यास बुझाने के लिए बोतल बंद पानी या फिर पाउच खरीदना पड़ता है। रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैंड अथवा सार्वजनिक स्थान कचहरी आदि स्थानों पर जगह-जगह पानी बिक रहा है। पैसे के अभाव में अनेक लोग प्यासे ही रह जाते हैं। प्रतिदिन हजारों की तादाद में बस और ट्रेन का सफर करने वाली यात्री जब सड़क से होकर गुजरते हैं तो उन्हें भी पानी नसीब नहीं होता था। अगर प्यास लगी है तो पानी खरीद कर पीना पड़ता था। लेकिन नगर पालिका के निशुल्क प्याऊ में लोग बेधड़क होकर पहुंचकर अपना गला तर कर रहे हैं। साथ ही रिक्शा चालकों के लिए भी यह प्याऊ वरदान साबित हो रहे हैं। क्योंकि उन्हें दोपहर में ही इधर से उधर जाना पड़ता है, प्यास लगने पर प्याऊ में पहुंचकर प्यास बुझाते हैं।