महाभारत के रचयिता वेदव्यास का हिमाचल के बिलासपुर, जालौन के बाद बांदा में तीसरे जन्म स्थल की खोज

रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास के जन्म स्थल की तरह महाभारत के रचयिता वेदव्यास के जन्म स्थल को लेकर भी..

महाभारत के रचयिता वेदव्यास का हिमाचल के बिलासपुर, जालौन के बाद बांदा में तीसरे जन्म स्थल की खोज

बांदा, 

रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास के जन्म स्थल की तरह महाभारत के रचयिता वेदव्यास के जन्म स्थल को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। जहां हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर व यूपी के जालौन जनपद में उनका जन्म स्थल माना जाता है। वही अब बांदा जनपद के पैलानी तहसील अंतर्गत चिल्ला में यमुना नदी के तट पर अदरी गांव को उनका जन्म स्थल माना जा रहा है। यहीं पर सम्राट उपरिचर वसु व सुंदरी अद्रिका के मधुर मिलन का स्थान बसधरी है। जिसका पुराना नाम व बसुधरी था।

बुंदेलखण्ड ही पुराना चेदि राज्य है। जो बु़द्ध-कालीन 16 महाजनपदों में शामिल था। चेदि राज्य का प्रसिद्ध राजा उपरिचर वसु था, जो पुरूवंशी था। राजा उपरिचर वसु मृग का शिकार करने को भ्रमण करते हुए यमुना तट पर पहुॅच गये और उनकी भेंट रूपवती दिव्यांगना सुंदरी अद्रिका से हुई। राजा उपरिचर वसु संुदरी अद्रिका के रूप सौंदर्य पर मुग्ध होकर आकर्षित हुए। राजा उपरिचर वसु व अद्रिका में प्रेम हो गया। राजा उपरिचर वसु व सुंदरी अद्रिका के समागम से जुडवा संतानों का जन्म हुआ, जिनमें से एक बालक व एक बालिका थी। बालक बाद में राजा मत्स्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसके द्वारा शासित राज्य मत्स्य देश कहा गया। दूसरी संतान का नाम सत्यवती था जिसका पालन-पोषण निषाद शिरोमणी दाशराज ने किया।

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सत्यवती का अन्य नाम दाशेयी, काली, मत्स्यगंधा और योजनगंधा भी था। यह यमुना तट वासी अपने पालक पिता दासराज के साथ नौका चालन में उनकी सहायता करती थी। एक समय महामुनि पराशर तीर्थ यात्रा करते हुए यमुना तट पर आये। मुनि पराशर यमुना नदी को पार करने को सत्यवती द्वारा चलित नौका में सवार हुए तथा सत्यवती के रूप सौंदर्य से आकर्षित होकर उन दोनो में प्यार होता है और मत्स्यगंधा सत्यवती व मुनिवर पराशर के समागम से कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास का जन्म होता है। यमुना के द्वीप में जन्म लेने और शरीर कृष्ण-वर्णी होने के कारण उनका नाम कृष्ण-द्वैपायन पडा जिन्हें बाद में वेदव्यास अथवा व्यास कहा गया। वेदव्यास को साहित्यिक व पौराणिक ग्रंथो में वासवीसुत और वासवेय कहा गया। राजकुमारी सत्यवती ही वासवीय है और सत्यवती की माता का नाम अद्रिका है, जो इस समय बांदा जनपद की तहसील पैलानी में अदरी नाम के गांव से पहचाना जाता है। 

सत्यवती की माता अद्रिका शब्द से ही नामांतरित अदरी नाम का एक गांव उपनगर चिल्ला जनपद बांदा के निकट यमुना द्वीप में स्थित है। अदरी ग्राम के समीप ही बसधरी ग्राम है। बसधरी ग्राम में शिविर वारादरी का निर्माण चेदि नरेश राजा उपरिचर वसु द्वारा कराया गया था। इसका पुराना नाम बसुधरी था। यहॉ राजा अपने यात्रा काल के समय अद्रिका के साथ निवास करते थे। यह भू-राजस्व ग्राम आज भी है। बांदा जनपद में यमुना तट पर स्थित अदरी (अद्रिका) व बसधरी (बसुधरी) ये दोनो गांव सत्यवती की माता अद्रिका व पिता राजा उपरिचर वसु की प्राचीन प्रेम गाथा के प्रतीक हैं। सम्राट उपरिचर वसु व अद्रिका के समागम से उत्पन्न संतान सत्यवती एवं सत्यवती व मुनि पराशर के समागम से उत्पन्न संतान कृष्ण द्वैयापन (वेदव्यास) की जन्मभूमि ग्राम अदरी है तथा सम्राट उपरिचर वसु व सुंदरी अद्रिका के मधुर मिलन का स्थान बसधरी है, जिसका पुराना नाम बसुधरी था।

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बसधरी गांव के निवासियों द्वारा बताया गया कि सन् 1839 में राजा हिम्मत (गोंसाईगिरी) की धरोहर तहसील रही थी। यह धरोहर चेदि राज्य के शासक राजा उपरिचर वसु व संुदरी अद्रिका के मिलन का साक्षी शिविर है।  बसधरी गांव से लगभग एक किलोमीटर पश्चिम की ओर यमुना के तट पर मच्छोदरी घाट है जो सम्भवतः सत्यवती (मत्स्यगंधा-योजनगंधा) के नाम से बनाया गया था। वह इस समय यमुना नदी के धारा में समाहित है। यही पर रामऔतार सिंह पुत्र चंदन सिंह निवासी बसधरी द्वारा दो बीघा जमीन मच्छोदरी पार्क के लिए तथा इन्द्रजीत सिंह पुत्र महादेव सिंह एवं हरीबाबू सिंह द्वारा चार बीघा भूमि दान देने की बात कही गयी।

यह स्थल चिल्ला से लगभग 5 किलोमीटर तथा शहर बांदा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। जिला अधिकारी अनुराग पटेल का कहना है कि ग्राम बसधरी (बसुधरी) तथा अदरी (अद्रिका) जो यमुना नदी के किनारे बसे हुए है तथा चेदि राजा उपरिचर वसु व उनकी प्रेमिका अद्रिका एवं अद्रिका की पुत्री सत्यवती (मत्स्यगंधा, योजनगंधा, दाशेयी) एवं महामुनि पराशर के मधुर मिलन व उनके समागम से पैदा हुई जुडवा संताने मत्स्य व कन्या सत्यवती के स्मृति स्थल एंव वेदव्यास के जन्म स्थान के प्रतीक है। इस स्थल को विलेज टूरिज्म, इॅको टूरिज्म एवं पौराणिक टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा सकता है। जिससे न केवल ग्राम बसधरी व ग्राम अदरी का विकास होगा अपितु वहां पर पर्यटन का विकास होने से गांव के लोगो को रोजगार भी मिलेगा।

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