वर्कशॉप के जरिए डॉ. हीरालाल ने किसानों को दिया, कम पानी में अधिक सिंचाई का मंत्र  

पानी के लिए काम करने वाले सरकारी विभाग, गैर सरकारी स्वैच्छिक संगठनों और किसानों को कम पानी में अधिक सिंचाई, अधिक फसल और अधिक कमाई का मंत्र विशेष सचिव सिंचाई...

वर्कशॉप के जरिए डॉ. हीरालाल ने किसानों को दिया, कम पानी में अधिक सिंचाई का मंत्र  

पानी के लिए काम करने वाले सरकारी विभाग, गैर सरकारी स्वैच्छिक संगठनों और किसानों को कम पानी में अधिक सिंचाई, अधिक फसल और अधिक कमाई का मंत्र विशेष सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग डॉक्टर हीरालाल ने एक कार्यशाला के माध्यम से दिया और किसानों से कहा कि अब सारी चिंताएं छोड़कर कम पानी में ज्यादा सिंचाई के बारे में सोचना शुरू करें। उन्होंने कहा कि इसी तरह के वर्कशॉप रीजन वार होंगे। जिसमें सभी विभागों को एक प्लेटफार्म पर लाकर किसानों को कम पानी में अधिक सिंचाई के फायदे के संबंध में जागरूक किया जाएगा।

यह भी पढ़े:बांदा सहित झांसी रेल मंडल के इन 10 रेलवे स्टेशनों का, प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से शिलान्यास करेंगे

यह कार्यशाला जल संसाधन समूह विश्व बैंक एवं ग्रेटर शारदा सहायक समादेश क्षेत्र विकास अधिकारी परियोजना उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को लखनऊ के एक होटल में आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में इस कार्यशाला में 2030 जल संसाधन समूह, विश्व बैंक के अधिकारी, भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य राज्यों के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से जुड़े अधिकारी, कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध विभागों के अधिकारी के साथ-साथ विभिन्न जनपदों के जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी शामिल हुए। साथ ही जल संरक्षण से जुड़े विभिन्न स्वंय सहायता समूह (एन0जी0ओ0), सोशल एक्टीविष्ट, विभिन्न पद्मश्री प्राप्त विभूतियां तथा विषय वस्तु विशेषज्ञो ने भी भाग लेंकर पानी पर चर्चा की।

यह भी पढ़े:बांदा सहित झांसी रेल मंडल के इन 10 रेलवे स्टेशनों का, प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से शिलान्यास करेंगे

उन्होंने कहा कि अलग-अलग काम करने से सभी की ऊर्जा अलग-अलग होती है। हमारा प्रयास है कि पानी के लिए काम करने वाले सभी विभाग सभी संगठन एक प्लेटफार्म पर एकत्र हो। तभी उनकी ऊर्जा ज्यादा होगी। ज्यादा ऊर्जा होने पर अच्छे ढंग से काम हो सकता है। उन्होंने कहा कि पानी की जरूरत फसल को होती है। पानी की बर्बादी रोक कर फसल को कैसे पर्याप्त पानी दिया जाए इस बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि कम पानी में ज्यादा पैदावार हो और किसानों की आमदनी बढ़े। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला के बाद हम अपने विभाग के लोगों को ट्रेनिंग देंगे ।जो लोग ट्रेंड हो जाएंगे वही लोग रीजन वार आयोजित कार्यशाला में किसानों को जागरूक करेंगे। इस संबंध में पहले ही कोलावा बैठक करके सभी संबंधित विभागों ने एक मंच पर काम करने का निर्णय लिया था। जिसके तहत प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

यह भी पढ़े:बुन्देलखण्ड के चित्रकूट में यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क बनाने की तैयारी

कार्यशाला में भाग ले रहे आयुक्त जल संसाधन प्रबंधन मंत्रालय भारत सरकार अनुज कुमार ने बताया कि किसानों की समय की मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की यह एक अच्छी पहल है। किसानों  की आय बढ़ाने में पानी एक महत्वपूर्ण साधन हो सकता है। केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए तमाम योजनाएं बनाई हैं। साथ ही जल शक्ति मंत्रालय भी इसके लिए काम कर रहा है। केंद्र सरकार की योजनाओं से संबंधित जानकारी किसानों से साझा की है।

यह भी पढ़े:सवारियां छोड़कर घर वापस लौट रहे ऑटो चालक की ट्रक की टक्कर से मौत 


वहीं पद्मश्री उमाशंकर पांडे ने कार्यशाला में बोलते हुए कहा कि पानी बचाने के लिए पुरखों की बेजोड़ तकनीक को अपनाते हुए हर खेत पर मेड, हर खेत पर पेड़ की परंपरागत नीति को अपनाकर वर्षा के पानी को रोकने का काम किया। उन्होंने कहा कि सरकार की किसी भी योजना को तब तक सफल नहीं बनाया जा सकता। जब तक इसमें जन समुदाय की भागीदारी न हो। पहले कुआं और तालाबों की रक्षा जन समुदाय ही करता था। अब उनके मुंह फेर लेने से, तालाब और कुएं खत्म होते जा रहे हैं, इसलिए जरूरी है की पानी बचाने के लिए जन समुदाय को जागरूक किया जाए।

डॉक्टर हीरालाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए माइक्रो-इरीगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) ही एकमात्र विकल्प है जिसके द्वारा कम पानी में अधिक सिंचाई के साथ अधिक उत्पादकता के द्वारा किसानों की अधिक आय को बढ़वा दिया जा सकता है। “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” के अलावा नहरों के कमांड क्षेत्र का माइक्रो-इरीगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) के माध्यम से विकास इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।कार्यशाला का उद्देश्य प्रदेश में माइक्रो-इरीगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) के द्वारा सिंचाई क्षेत्र का विस्तार और जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा देना है। माइक्रो-सिंचाई के माध्यम से न केवल कृषि उत्पादकता वृद्धि होती है अपितु जल उपयोग को अनुकूलित करने में भी सहायता मिलती है। कम पानी में अधिक सिंचाईः अधिक फसल-अधिक कमाई के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में यह एक नया प्रयास है। आगे भी इसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने की योजना है। जिसमें जल संरक्षण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन रोकने के विषय पर जागरूकता आदि का कार्य किया जायेगा।

What's Your Reaction?

like
1
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0