बुन्देलखण्ड को मधू उत्पादन का केन्द्र बनाये जाने की सम्भावना 

कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में कीट विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय के तत्वाधान में..

बुन्देलखण्ड को मधू उत्पादन का केन्द्र बनाये जाने की सम्भावना 

वैज्ञानिक विधि से मधुमक्खी पालन विषय पर पाॅच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू   

कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में कीट विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय के तत्वाधान में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना ‘मधुमक्खी एवं परागणकारी’ एवं पी.आई. फाउण्डेशन द्वारा प्रायोजित ‘वैज्ञानिक विधि से मधुमक्खी पालन’ विषय पर पाॅच दिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा. यू.एस. गौतम, कुलपति, बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के द्वारा द्वीप प्रज्वलन कर किया गया।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य प्रशिक्षक डा. रामाश्रित सिंह पूर्व प्राध्यापक, डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर बिहार ने अपने उद्बोधन में मधुमक्खी पालन की महत्ता एवं वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन के तरीको पर विशेष बल दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  कुलपति  डा. गौतम ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुये बुन्देलखण्ड में मधुमक्खी पालन द्वारा आय अर्जन की सम्भावनाओं पर प्रकाश डाला एवं कृषकों को समूह में मधुमक्खी पालन करने के लिये प्रेरित किया।

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साथ ही आय सुनिश्चित करने हेतु मधुमक्खी पालन को कृषि के अन्य आयामों के साथ अपनाते हुये बुन्देलखण्ड को मधू उत्पादन का केन्द्र बनाये जाने की सम्भावनाओं पर विशेष रूप से चर्चा की । 

डा. गौतम ने कहा कि बुन्देलखण्ड में जलवायु के अनुकूल फसलों के चुनाव एवं कृषकों की आय दोगुनी करने हेतु सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड में प्रवासी मौनपालन विधि को अपना कर तथा सामान्य मौनपालन यंत्रों का उत्पादन करके आयवृद्धि की जा सकती है।

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कार्यक्रम के आयोजक सचिव डा. ए.के. सिंह, सहायक प्राध्यापक, कीट विज्ञान विभाग ने बताया कि बुन्देलखण्ड में परागित फसलों की विविधता को देखते हुये मौनपालन हेतु वार्षिक फसल पंचाग तैयार किया जा रहा है, जिससे पूरे वर्षभर मधुमक्खियों के लिये मकरन्द एवं  परागकण की आपूर्ति हो सकेगी। 

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कृषि महाविद्यालय के प्रभारी अधिष्ठाता डा. मुकुल कुमार प्राध्यापक, पादप प्रजनन विभाग ने पर-परागित फसलों में मधुमक्खी के महत्व एवं परागण के द्वारा फसल उत्पादकता वृद्धि एवं बुन्देलखण्ड में मधु क्रान्ती की सम्भावनाओं पर प्रकाश डाला।  

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बुन्देलखण्ड (उ.प्र.) के सभी जिलों से आये 6 केवीके कीट वैज्ञानिको को मिला कर 30 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 दिनेश गुप्ता के द्वारा किया गया।

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