झांसी के कारसेवक जगतप्रकाश अग्रवाल के बलिदान की कहानी
1990 में कारसेवा के दौरान वीरांगना भूमि झांसी के खण्डेराव गेट पर चली गोली में शहीद हुए झांसी के लाल कारसेवक जगतप्रकाश अग्रवाल का बलिदान व्यर्थ नहीं गया...
@महेश पटैरिया, झांसी
- शहीद कारसेवकों के सपनों को साकार करेंगे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए आयोजित भूमिपूजन कार्यक्रम में 5 अगस्त को पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे पहुंचने वाले हैं। वह मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन कर शहीद कारसेवकों व करोड़ों रामभक्तों के सपनों को साकार करेंगे।
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30 अक्टूबर 1990 का दिन पूरे देश में सनातन धर्म के लिए काले दिवस के रुप में सदैव याद किया जाएगा। इस दिन झांसी में निहत्थे कारसेवकों पर पुलिस ने बर्बरता दिखाते हुए करीब दो घंटे तक गोलियां चलाई थी। यह घटना उस समय घटित हुई थी जब लक्ष्मी व्यायाम मंदिर में हजारों कारसेवक तत्कालीन सपा सरकार और उसके मुखिया मुलायम सिंह यादव की बुद्धि की शुद्धि करने के लिए भगवान श्रीराम से प्रार्थना करते हुए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ कर रहे थे। इसी दौरान कारसेवकों के उत्साह को तोड़ने के लिए पुलिस ने पहले लाठी चार्ज किया। इस पर कारसेवकों ने विरोध शुरु कर दिया। यह देख पुलिस के हाथ पांव फूल गए और पुलिस ने गोली चलाना शुरु कर दिया। रह-रहकर की गई फायरिंग में करीब दो दर्जन लोग घायल हो गए। वहीं झांसी का कारसेवक 22 वर्षीय जगतप्रकाश अग्रवाल व गुजरात से आया हुआ 35 वर्षीय एक अन्य कारसेवक शहीद हो गया था।
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इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी व जगतप्रकाश के भाई ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि उस समय वह अन्य सहयोगियों के साथ लक्ष्मी व्यायाम मंदिर में कारसेवकों को खाना खिला रहे थे। तभी अचानक गोलियां चलने लगी। इस दौरान उन्हें व करीब दो दर्जन लोगों को गोलियां लगी थी। इस दौरान उनका भाई जगतप्रकाश एलबीएम के बाहर खण्डेराव गेट पर था। उसे गोली लग गई और वह गंभीर रुप से घायल हो गया। उसके शहीद होने की खबर उन्हें दूसरे दिन किसी समाचार पत्र से हो सकी थी। क्योंकि उस दिन गोली चलने के बाद पूरे शहर में कफ्र्यू लगा दिया गया था।
कारसेवकों की आवाज को दबाने के लिए हुई थी फायरिंग
भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी बताते हैं कि उस दिन वहां कारसेवक शांतिपूर्ण ढंग से बुद्धि शुद्धि यज्ञ कर रहे थे। इसी दौरान किसी बात को लेकर पुलिस ने लाठीचार्ज शुरु कर दिया। इस पर कारसेवक बिफर पड़े। कारसेवकों का आक्रोश देखते हुए पुलिस भी सहम गई। पुलिस ने बेवजह अचानक फायरिंग शुरु कर दी थी। पुलिस कारसेवकों की आवाज को दबाना चाहती थे। जबकि राम की भक्ति में डूबे कारसेवक तो सिर पर कफन बांधकर निकले थे और पुलिस की दमनकारी नीति के सामने उन्होंने अपना सिर नहीं झुकने दिया। हालांकि इसमें झांसी के जगतप्रकाश अग्रवाल व गुजरात का एक अन्य कारसेवक वीरगति को प्राप्त हो गया था। उन्होंने बताया कि बाबजूद इसके कारसेवकों का उत्साह कम होने का नाम नहीं ले रहा था। कारसेवक प्रभुश्रीराम का जयकारा लगाते हुए नारे लगा रहे थे, रामलला हम आएंगे-मंदिर वहीं बनाएंगे।
(हिन्दुस्थान समाचार)