बुन्देलखण्ड में भीषण गर्मी दुधारू पशुओं के लिए घातक, कृषि वैज्ञानिक ने पशुओं को बचाने की दी सलाह

बुन्देलखण्ड की गर्मी अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। जनमानस के साथ-साथ सभी जीव जन्तु व पेड़ पौधे प्रभावित हो रहे हैं..

बुन्देलखण्ड में भीषण गर्मी दुधारू पशुओं के लिए घातक, कृषि वैज्ञानिक ने पशुओं को बचाने की दी सलाह

बुन्देलखण्ड की गर्मी अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। जनमानस के साथ-साथ सभी जीव जन्तु व पेड़ पौधे प्रभावित हो रहे हैं। वैश्विक तापमान में निरन्तर वृद्धि के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। ऐसे में पशुओं की उचित देखभाल अति आवश्यक है। गर्मी के मौसम में जब वातावरण का तापमान 42 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुच जाता है और गरम लू के थपेड़े चलने लगते है तो पशु दबाव की स्थिति में आ जाते हैं। इस दबाव की स्थिति का पशुओं की पाचन प्रणाली और दूध उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

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कृषि विज्ञान केन्द्र बाँदा के पशु विज्ञान के वैज्ञानिक डा. मानवेन्द्र सिंह ने कृषकों को सलाह दी है कि इस मौसम में पशुओं की देखभाल में अपनाई गयी थोड़ी सी भी असावधानी उनके शारीरिक वृद्धि, स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधी क्षमता और उत्पादन पर स्थाई कुप्रभाव डाल सकती है। गर्मी के मौसम में ध्यान न देने पर पशु के सूखा चारा खाने की मात्रा 10 से 30 और दूध उत्पादन क्षमता में 10 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। साथ ही साथ अधिक गर्मी के कारण पैदा हुये आक्सीकरण तनाव की वजह से पशुओं की बीमारियों से लड़ने की अन्दरूनी क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और आगे आने वाले बरसात के मौसम में वे विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।

डा. सिह ने यह भी बताया कि गर्मी के बुरे असर से दुधारू पशुओं व नवजात बछड़े बछियों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण उपाय किया जाना आवश्यक है। जिसमें प्रमुख रूप से सीधे तेज धूप व लू से पशुओं को बचाने को पशुशाला के मुख्य द्वारा पर खस या जूट के बोरे का पर्दा लगाना चाहिये। पशु आवास के आस-पास छायादार वृ़क्षों की मौजूदगी पशुशाला के तापमान को कम रखने में सहायक होती है। पशुओं को छायादार स्थान पर बांधना चाहिये। पर्याप्त मात्रा में साफ सुथरा ताजा पीने का पानी दिन में 3 से 5 बार उपलब्ध कराना चाहिये। पशुओं से दूध निकालने के बाद यदि सम्भव हो सके तो उन्हें ठंडा पानी पिलाना चाहिये। गर्मी में भैंसों को 3 से 4 बार व गायों को कम से कम 2 बार अवश्य नहलाना चाहिये जिससे उनके शरीर का तापमान सामान्य बना रहे। 

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डा, सिंह ने बताया कि पशुधन से अधिक उत्पादन लेने को यह आवश्यक है कि पशुशाला के आवास की छत यदि एस्बेस्टस या कंक्रीट की है तो उसके ऊपर 4 से 6 इंच मोटी घास-फूस की तह लगा देने से पशुओं को गर्मी से काफी आराम मिलता है। पशुओं को नियमित रूप से खुरैरा करना चाहिये। खाने पीने की नॉद को नियमित अन्तराल पर चूना, कली करते रहें। पशुओं के संतुलित आहार में दाने एवं चारे का अनुपात 40 और 60 का रखना चाहिये साथ ही व्यसक पशुओं को रोजाना 40 से 60 ग्राम तथा छोटे बच्चों को 10 से 15 ग्राम नमक जरूर देना चाहिये।

गर्मी के मौसम में पैदा की गयी ज्वार में जहरीला पदार्थ हो सकता है जो पशुओं के लिये हानिकारक होता है। इस मौसम में यदि बारिश नहीं हुयी है तो ज्वार काटने से पहले खेत में 2 से 3 बार पानी लगाने के बाद ही ज्वार की चरी खिलानी चाहिये। गर्मी के मौसम में पशुओं में गलाघोंटू, खुरपका-मुंहपका, लगड़ी बुखार आदि बीमारियों से बचाव को टीकाकरण अवश्यक करायें जिससे वह आगे आने वाले बरसात के मौसम में इन बीमारियों से बचे रहें।

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