बकरियो की उन्नत नस्ल सिरोही बुंदेलखंड के किसानों के लिए वरदान साबित होगी

बुंदेलखंड क्षेत्र में बकरी पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र गनींवा चित्रकूट..

बकरियो की उन्नत नस्ल सिरोही बुंदेलखंड के किसानों के लिए वरदान साबित होगी

बांदा,

बुंदेलखंड क्षेत्र में बकरी पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र गनींवा चित्रकूट की मांग पर बुंदेलखंड जैविक कृषि फार्म के संचालक मोहम्मद असलम ने सिरोही नस्ल की बकरियों की एक यूनिट उपलब्ध कराई है। उनका दावा है कि यह बकरी नस्लें जनपद चित्रकूट ही नहीं समूचे बुंदेलखंड के किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगी।

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प्रगतिशील किसान मोहम्मद असलम का कहना है कि यह बकरी नस्ल किसानों के परिवार को उच्च गुणवत्ता युक्त पोषण एवं खेतों के लिए प्राकृतिक खाद उपलब्ध कराने के साथ-साथ इससे किसानों की आय में निश्चित एवं नियमित वृद्धि कराने में भी सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि हमारे फार्म में बकरियों की बहुत सी नस्ले हैं जो अधिक दूध देती हैं तथा इनका दुग्ध काल भी अधिक है। यदि किसान बकरियों के दूध पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए दोहरे उद्देश्य से बकरी का पालन करें तो यह अधिक लाभकारी  होगी।

सिरोही नस्ल एक बकरी औसतन 2 से 3 लीटर तक दूध देती है।  जिसमे से उसके बच्चे के वजन का 10 फीसदी दूध पिलाया जाता है, शेष दूध आप अपने उपयोग में ले सकते है अथवा विक्रय कर सकते है। बकरियो के दूध की मांग लगातार बाजार में बढ़ रही है। जबकि आम बकरियां आधा किलो से अधिक नही देती हैं।बकरी का दूध औषधीय गुणों से भरपूर  होता है, जो डेंगू व चिकिन गुनिया जैसी गंभीर बीमारियों में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने का कार्य करता है तथा इम्युनिटी को मजबूत करता है।

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नवजात शिशुओं, बच्चों, वृद्ध तथा बीमार व्यक्ति भी इसे आसानी से पचा लेते है, जो इनके लिए बहुत ही लाभकारी व स्वास्थ्य वर्धक होता है। जिन लोगो को दूध से एलर्जी (दूध पचाने में परेशानी ) होती है, जिसे ‘गैलेक्टोसेमिया’ बीमारी के नाम से जाना जाता है। उन्हें भी बकरी का दूध बहुत ही लाभकारी होता है। बुंदेलखंड जैविक कृषि फार्म छनेहरा लालपुर,बांदा का संचालन करने वाले असलम बताते है कि बकरी पालक किसान भाइयों का यह बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि आज तक वे बकरी की पूरी क्षमता का दोहन नही कर पाए है।

केवल मात्र एक उद्देश्य मांस को ही ध्यान में रखकर ही बकरी पालन किया जाता रहा है। जबकि बकरियो से हमे औषधीय दूध, घी व सबसे अच्छा माने जाने वाला पनीर, उसके बाल भी अच्छी कीमत पर बिकते है। अंत मे आती है बकरी की मेंगनी( लेंडी व मूत्र ) जिसकी खाद गाय, भेड़, ऊंट आदि की तुलना में बहुत अच्छी मानी जाती है। उन्होने बुंदेलखंड तथा संपूर्ण देश के भूमिहीन, लघु व सीमांत किसानो बेरोजगारों आग्रह किया है कि आप भी खेती के साथ-साथ बकरी पालन को भी अवश्य शामिल करें।

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