29 शावकों को जन्म देने वाली सुपर मॉम बाघिन का फूलों से सजी चिता में अंतिम संस्कार

बुंदेलखंड के विख्यात पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली ‘सुपर मॉम बाघिन’ की मौत हो गई है..

Jan 19, 2022 - 05:47
Jan 19, 2022 - 05:48
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29 शावकों को जन्म देने वाली सुपर मॉम बाघिन का फूलों से सजी चिता में अंतिम संस्कार
29 शावकों को जन्म देने वाली सुपर मॉम बाघिन का फूलों से सजी चिता..

बुंदेलखंड के विख्यात पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली ‘सुपर मॉम बाघिन’ की मौत हो गई है। इस बाघिन ने 17 वर्ष में सात बार प्रसव के दौरान 29 शावकों को जन्म दिया था। टाइगर रिजर्व पेंच जंगल में इसने अंतिम सांस ली। सोमवार को वन्य कर्मियों ने फूलों से सजी चिता में इसका ससम्मान अंतिम संस्कार कर दिया है। 

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इसका जन्म सितंबर 2005 में हुआ था। शुरुआती 10 वर्षों में इसने 10 और बाद से सात वर्षों में इसने 19 शावकों को जन्म दिया। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए यह बाघिन खास आकर्षण का केंद्र थी। इसे पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क की धरोहर माना जाता था।

29 शावकों को जन्म देने वाली सुपर मॉम बाघिन का फूलों से सजी चिता..

बाघों की संख्या बढ़ाने और मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में भी इसकी मुख्य भूमिका रही। सुपर मॉम बाघिन की चिता को मुखाग्नि स्थानीय आदिवासी महिला शांता बाई ने दी। नम आंखों के बीच उन्होंने कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क की शान चली गई। हम सभी उसे बहुत याद करेेंगे। शांता बाई यहां की ऐसी चर्चित आदिवासी महिला हैं।

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जिन्होंने अपने गांव कर्माझिरी में शराब पर पाबंदी और शिकार पर रोक लगवाई। दाह संस्कार के दौरान रिजर्व टाइगर के क्षेत्र संचालक अशोक मिश्रा, उप संचालक अधर गुप्ता, सहायक वन संरक्षक बीपीपी तिवारी, परिक्षेत्र अधिकारी आशीष खोबरा गड़े, जिला पंचायत सदस्य रामगोपाल जायसवाल, गाइड और रिसॉर्ट प्रतिनिधि मौजूद रहे।

29 शावकों को जन्म देने वाली सुपर मॉम बाघिन का फूलों से सजी चिता..

आमतौर पर जन्म के बाद 50 फीसदी शावक जिंदा रहते हैं, लेकिन सुपर मॉम के बच्चों का जीवन दर 80 फीसदी रहा।उसके 29 बच्चों में 23 सही सलामत हैं। इसमें अपने शावकों और इलाके को सुरक्षित रखने की जबरदस्त क्षमता थी। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि इसने अपना पूरा जीवन जीया। उसके निशान हर कहीं मौजूद हैं। उन्हें मिटाया नहीं जा सकता है।

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