कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा में सात दिवसीय प्लांट टिश्यू कल्चर पर ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू
बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा 2-8 अगस्त, 2021 को ग्रामीण व अर्ध शहरी युवाओं के बीच उद्यमिता कौशल को बढ़ाने के लिए प्लांटटिश्यू..
बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा 2-8 अगस्त, 2021 को ग्रामीण व अर्ध शहरी युवाओं के बीच उद्यमिता कौशल को बढ़ाने के लिए प्लांटटिश्यू कल्चर की सात दिनों के ऑनलाइन प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.यू.एस.गौतम ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जैव प्रौद्योगिकी के देश के नामचीन वैज्ञानिक व प्रोफेसर डॉ. बी.डी. सिंह. थे।
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कुलपति ने विकासशील और अल्प विकसित देश में खाद्य सुरक्षा की समस्या के उन्मूलन के लिए प्लांटटिशूकल्चर के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के लिए टिश्यू कल्चर तकनीकों के माध्यम से शुष्क फसलों के प्रसार पर भी जोर दिया।
डॉ. यू.एस.गौतम ने बांदा कृषि विश्वविद्यालय ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि विश्वविद्यालय ने प्रयोगशाला स्थापना के दो वर्षों के भीतर ऊतकसंवर्धन से उगाए गए केले के पौधे तैयार किए तथा किसानों में वितरित किए। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से प्रशिक्षण में ध्यान से भाग लेने और ज्ञान को अपने क्षेत्र में लागू करने की अपील की जिससे प्रशिक्षण के उद्देश्य को पूरा किया जा सके।
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मुख्य अतिथि प्रोफेसर बी.डी. सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना की। प्रोफेसर बी.डी. सिंह ने पादप ऊतकसंवर्धन की मूल बातें और प्रतिभागियों को उनके अनुप्रयोग के बारे में बताया।प्रशिक्षण में देश के 17 विभिन्न राज्यों के कुल 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया है।
प्रशिक्षण मे देश के विभिन्न संस्थानों ंजैसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, डॉ वाई एस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन, जी.बी. पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज, नईदिल्ली, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, आईआईटी गुवाहाटी, इत्यादि से व्याख्यान देने और प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है।
वानिकी महाविद्यालय के डीन और आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ संजीवकुमार ने अतिथि और प्रतिभागियों के लिए अपना स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ चंद्रकांत तिवारी और धन्यवाद प्रस्ताव प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. शालिनी पुरवार द्वारा किया गया।
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