रामायण मेला

Jun 9, 2020 - 12:46
Jun 9, 2020 - 16:13
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रामायण मेला
रामायण मेला

 विश्व संस्कृति में चित्रकूट राम रामायण सार्वभौम महत्व के रोम-रोम को रमे हुए जन जन के इष्ट और आराध के रूप में लोग चर्चित हैं चित्रकूट की धरती में ही भारत की संस्कृति चेतना के महापर्व रामायण मेला की परिकल्पना  प्रिया समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ने 1360 1061 के बीच की थी चित्रकूट की कोलकाता वाली धर्मशाला में रामायण मेले का कार्यालय खोला गया चिंतन गोष्ठियों आयोजन परी कल्पनाएं इसी चित्रकूट से प्रेरित होकर इसी चित्रकूट में स्थापित हुई डॉ लोहिया ने कहा था चित्रकूट के रामायण मेले की बात सोचते समय मेरे दिमाग में कई बातें आई यह क्षेत्र निर्धन है।  हर मामले में पिछड़ा है यहां की सांस्कृतिक चेतना भी अर्ध विकसित है मैंने सोचा रामायण मेले से जहां देश में एकता की लहर दौड़ेगी एशियाई क्षेत्रों से हमारे संबंध मधुर होंगे और उन देशों की जनता के बीच मातृत्व की भावना जगे गी वही चित्रकूट की समस्याएं भी सुधरें सुधरेगी सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट होगा।

गांधी जी ने रामराज्य की परिकल्पना की थी मैं रामायण मेला से सीता राम राज की आवाज बुलंद करने की सोचता हूं चित्रकूट से बढ़कर और कोई स्थान इसके लिए उपयुक्त नहीं होगा रामायण मेला परंपरागत मेलों से होगा जिसका उद्देश्य होगा आनंद दृष्टिबाधित रक्त संचार तथा हिंदुस्तानी को  बढ़ावा रामायण उत्तर और दक्षिण की एकता का ग्रंथ है और राम हिंदुस्तान के उत्तर दक्षिण एकता के प्रमुख देवता हैं राम के जैसा मर्यादित जीवन कहीं नहीं ना इतिहास में ना कल्पना में रामायण मेला भारत की संस्कृति का सबसे बड़ा मेला होगा।

डॉ लोहिया अपने जीवन काल में रामायण मेला शुरू नहीं कर पाए किंतु विचारों को आत्मसात कर चित्रकूट कर्वी के आचार बाबूलाल गर्ग ने अथक परिश्रम संपर्क पत्राचार आदि के माध्यम से 1973 में चित्रकूट की धरती में पोद्दार इंटर कॉलेज के प्रांगण से प्रारंभ किया तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश कमलापति त्रिपाठी रामचरितमानस चतू सती राष्ट्रीय समिति के कार्यकारिणी अध्यक्ष ने  राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री भारत सरकार को जेडी शुक्ला रामचरितमानस समिति के कार्यकारी अध्यक्ष से संपर्क करने एवं रामायण मेले में सहयोग प्रदान करने का संदेश भेजा चित्रकूट कर्वी नगर पालिका अध्यक्ष गोपाल कृष्ण करवरिया जी रामायण मेला के कार्यकारी अध्यक्ष थे उन्होंने जन सहयोग और आर्थिक मोर्चे  को संभाल लिया

राधा कृष्ण गोस्वामी पूर्व राज्य मंत्री जो राजापुर के थे उनका भी भरपूर सहयोग मिला प्रश्न था कि इतने विशाल और सांस्कृतिक क्रांति के रामायण मेले का संचालन सूत्र किसके हाथ में दिया जाए चित्रकूट मंडल के मनीषियों शिक्षाविदों और संस्कृति के चिंतकों ने सर्व सम्मति से रामायण मेला की विद्यार्थियों सास्वत सभाओं के संचालक के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय बांदा के हिंदी विभाग के आचार भारतीय भाषाओं के मर्मज्ञ प्रख्यात कवि और साहित्यकार डॉक्टर चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित को संचालक का दायित्व दिया जिसकी ओजस्वी वाणी हास्य कविता और धाराप्रवाह अभिव्यक्ति कौशल तथा दक्षता के कारण राष्ट्रीय रामायण में लिखो व्यापक जनाधार और लोकप्रियता मिली डॉ  ललित स्थापना काल 1973 से लेकर अब तक 46 मेलों का अपूर्व दक्षता के साथ संचालन कर रहे हैं उनके सहयोगी  संचालकों केजी गुप्त डॉक्टर करुणा शंकर द्विवेदी डॉक्टर सीताराम विश्व बंधु डॉ श्याम त्रिपाठी आदि के नाम भी उल्लेखनीय है जो विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं।

 रामायण मेले का वैश्विक रूप 

महर्षि बाल्मीकि से लेकर भवभूति तक महाकवि चंद से चंदबरदाई से लेकर निराला तक के कवियों की काव्यात्मक प्रस्तुतियां  रामचरितमानस के प्रख्यात विद्वानों के अतिरिक्त तमिल तेलुगू कन्नड़ मलयालम उड़िया बंगला गुजराती मराठी आदि समस्त भारतीय भाषाओं की रामायण का तुलनात्मक अध्ययन एवं इन भाषाओं के विद्वानों का आगमन अब लिख विभिन्न भाषाओं  की रामायण की प्रदर्शनी  हिंदी सिया मलाई देश थाईलैंड बर्मा कंबोडिया आदि देशों की रामायण ऊपर विचार विमर्श भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई चंद्रशेखर अटल बिहारी वाजपई राज नारायण अर्जुन सिंह कपूरी ठाकुर प्रोफेसर बासुदेव सिंह महामहिम अकबर अली खान 20 सत्यनारायण रेड्डी प्रोफेसर विष्णुकांत शास्त्री हेमवती नंदन बहुगुणा राम नायक साध्वी निरंजन ज्योति जमुना प्रसाद बोस भीष्म देव दुबे रामनाथ दुबे पूर्व सांसद चित्रकूट मंडल एवं भारत के प्रमुख संत महंत पीठाधीश्वर अखाड़ों के आचार आश्रमों के अधिकारी भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति कुलाधिपति नानाजी देशमुख तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य संत प्रेम पुजारी दास ज्ञानेश्वर आनंद सरस्वती संत फलाहारी अयोध्या आदि रामकिंकर उपाध्याय मानस मराल आज की गौरवपूर्ण सहभागिता विद्वान प्रोफेसर विष्णु कांत शास्त्री महादेवी वर्मा डॉ रामकुमार वर्मा आचार्य सीताराम चतुर्वेदी गौरी शंकर  उड़ीसा जी पटनायक इंदिरा गोस्वामी आसाम विवेक घटा चलम तमिलनाडु गजानन नरसिंह सांडे महाराष्ट्र डॉक्टर आलोक पद्माकर कुंवर चंद्रप्रकाश मगध डॉक्टर जगदीश गुप्त डॉक्टर रघुवंश प्रयाग राम नाथ त्रिपाठी दिल्ली बिहार तिना नेपाल हिंदू अवस्थी  दिल्ली धनेश्वर उपाध्याय  पी सूर्यनारायण तेलुगू कमला रतन दिल्ली अनंतराम शाही कश्मीर राममूर्ति रेणु हैदराबाद के एस रंगनाथ तमिल भवानी प्रसाद मिश्र डॉ भगवती प्रसाद सिंह गोरखपुर रामनिरंजन पांडे आंध्र के रंगनाथन तमिल हरिनारायण आदि।

- डाॅ. अनामिका द्विवेदी 

(लेखिका हैं)

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