पन्ना: कागजी विकास, जहां आज भी लोग इलाज के लिए चारपाई पर ले जाने को मजबूर

शासन प्रशासन विकास के बड़े-बडे दावे करता है एवं नेताओं तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने लच्छेदार भाषणों में क्षेत्र के विकास की दुहाई दी जाती है और सर्वागींण विकास का सपना दिखाया जाता है...

पन्ना: कागजी विकास, जहां आज भी लोग इलाज के लिए चारपाई पर ले जाने को मजबूर

शासन प्रशासन विकास के बड़े-बडे दावे करता है एवं नेताओं तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने लच्छेदार भाषणों में क्षेत्र के विकास की दुहाई दी जाती है और सर्वागींण विकास का सपना दिखाया जाता है, लेकिन यह मात्र कागजों एवं भाषण बाजी के सिवाय कुछ नहीं रहता है। जिसका जीता जागता उदाहरण पन्ना जिले के कई ग्रामों में देखा जा सकता है, जहां आज भी लोग मूलभूत अवश्यकताओं के अभाव में आदिम युग में जीने को मजबूर हैं। ऐसा ही मामला पवई विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा तहसील के फतेहपुरा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले मजरा कंचनपुरा जहां आज भी मुख्य मार्ग से गांव तक के लिए रास्ता तक नहीं है। जब कोई बीमार हो जाता है तब पानी एवं कीचड़ युक्त रास्ते से चारपाई लेजाकर मुख्य मार्ग तक आना पड़ता है।

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जानकारी के अनुसार जिले के दूरस्थ क्षेत्र रैपुरा के अंतर्गत है। जहां ग्राम पंचायत फतेहपुरा के ग्राम कंचनपुरा का है। बताया जाता है कि कंचनपुरा के लोगों को पास के गांव झालाडुमरी की मुख्य सड़क तक लाने के लिए कई किलोमीटर पैदल पथरीले रास्ते पर चलना होता है। इतना ही नहीं बारिश के दिनों में यहां से गुजरने वाला नाला पार कर कीचड़ भरे रास्ते को पार करना होता है। आज भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।


मंगलवार को सुबह 8 बजे ग्राम कंजनपुरा निवासी प्रेम सिंह धुर्वे के 36 वर्षीय पुत्र बबलू धुर्वे की तबीयत अचानक खराब हो गई। उपचार के लिए पास ही कटनी जिला चिकित्सालय ले जाने के लिए प्रेम सिंह के पास कोई साधन नहीं था। जिसके बाद प्रेम सिंह ने अपने गांव के कुछ लोगों को साथ लिया और बेटे को एक खाट पर लिटाकर चार कंधों में बैठाकर झालाडुमरी के लिए निकल पडा। इसी बीच स्थानीय लोगों ने उसकी कुछ तस्वीरें लीं। यह तस्वीरें विकास की पूरी कहानी को बंया करने के लिए काफी थीं।

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कीचड़ और पथरीले रास्ते से गुजरते हुए किसी तरह ये लोग झालाडुमरी पहुंचे, यहां से बस के माध्यम से युवक को उपचार के लिए कटनी ले जाया गया। बताया जाता है कि गांव को झालाडुमरी से जोड़ने के लिए एक अदद सड़क बन जाए तो इन लोगों की मुश्किलें कम हो सकती हैं, लेकिन इस ओर कोई गंभी प्रयास नहीं हुए, जिसके चलते गांव के लोगों को आज भी खाट के सहारे, अपने बीमार परिजनों को अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है। ऐसे में अत्याधिक गंभीर अवस्था होने पर मरीज को उपचार भी नहीं मिल पाता। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए बारिश के दिन बेहद मुश्किलें भरे होते हैं। जब उपरोक्त मामले में क्षेत्रीय सत्ताधारी दल के विधायक प्रहलाद लोधी से चर्चा करनी चाही तो उनका मोबाईल बंद होने के कारण चर्चा नहीं हो सकी।



इस संबंध में रैपुरा तहसीलदार राम प्रताप सिंह का कहना है कि खाट पर मरीज को ले जाने की सूचना मिली है। गांव में सड़क बनाने के लिए ग्राम पंचायत मे प्रस्ताव डाला जाएगा। यहां सड़क पर कुछ वन विभाग की आपत्ति है। कुछ क्षेत्र वन क्षेत्र हैं। ऐसे में निराकरण कर नाले पर पुलिया व सड़क बनाने के लिए प्रयास करेंगे।

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हि.स.

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