कृषकों को वैज्ञानिक बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिएः संजय निषाद, मंत्री

कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा बुन्देलखण्ड के कृषि के लिए वरदान है। यह विश्वविद्यालय कृषि के क्षेत्र में ज्ञान प्रसारित कर रहा...

कृषकों को वैज्ञानिक बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिएः संजय निषाद, मंत्री

कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा बुन्देलखण्ड के कृषि के लिए वरदान है। यह विश्वविद्यालय कृषि के क्षेत्र में ज्ञान प्रसारित कर रहा है। इस विश्वविद्यालय में एक मत्स्य महाविद्यालय खुलवाने को सरकार से व्यक्तिगत सिफारिश करूँगा। वैज्ञानिक पायलेट प्रोजेक्ट बनाकर तकनीक का विस्तार और कृषकों को शिक्षित करें। कृषकों को वैज्ञानिक बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। बुन्देलखण्ड पर हमारी केन्द्र और राज्य सरकार दोनों का ध्यान है। 

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  • खेती किसानी में वैज्ञानिकता का समावेश अति आवश्यकः  डॉ. मनोज प्रजापति

banda agriculture

 यह बाते बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में 3 से 5 नवम्बर, 2022 को आयोजित हो रहे 3 दिवसीय किसान मेला के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मंत्री, मत्स्य मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार संजय निषाद ने कही। कहा कि कृषक सहयोगी योजनायें निश्चित तौर पर इस क्षेत्र की दिशा और दशा बदलने में कारगर साबित हो रहीं हैं। बुन्देलखण्ड का आजादी में भी महत्वपूर्ण योगदान है। विश्वविद्यालय के प्लान के हिसाब से इस क्षेत्र में एक मत्स्य महाविद्यालय की स्थापना हेतु मैं व्यक्तिगत रूप से प्रयास करूँगा।

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 इसके पहले हमीरपुर सदर के  विधायक, डा. मनोज प्रजापति ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में विकास किसान एवं वैज्ञानिकों के मेहनत का प्रतिफल है। देश में अनाज का भण्डारण इस बात का पुख्ता सबूत है। वैज्ञानिक अवधारणा से विकास को हमेशा स्थाियत्व प्राप्त हुआ है। बुन्देलखण्ड का किसान खेती किसानी में परिस्थिति अनुसार बदलाव कर जीवकोपार्जन से अतिरिक्त आय की तरफ बढ़ सकता है। जिसकी तरफ ध्यान देना होगा। इस मेले के आयोजन से बुन्देलखण्ड के सभी जिलों के किसान निश्चित तौर पर लाभान्वित होगा।

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 इस विशाल कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के मुखिया प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह तथा निदेशक प्रसार, डॉ. एन0 के0 बाजपेयी निश्चित तौर पर बधाई के पात्र हैं। उद्घाटन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति डॉ. ए0 के0 सिंह ने कहा कि कई जिलों के किसान साल में चार फसलें ले रहें हैं। यहाँ भी सम्भावना विकसित की जा सकती है। मक्के की खेती के लिए भी परिस्थियाँ अनुकूल है। सरसों अच्छी फसल है जिससे किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। मोटे अनाज का उत्पादन आवश्यक है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद्, लखनऊ के महा निदेशक डॉ. एस0 के0 सिंह ने तकनीकी प्रसार के लिए वैज्ञानिकों के महत्व को बताया। 

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 बाँदा जिले के जिलाधिकारी ,  अनुराग पटेल ने कठिया गेहूँ एवं सजर पथ्थर को वरदान बताया। कठिया गेहूँ को एक जिला एक उत्पाद में सम्मिलित करने को योजना बनाई जा रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षा, शोध व प्रसार कार्य विश्वविद्यालय की प्रमुख गतिविधियाँ हैं। शोध प्राथमिकता की पहचान कर वैज्ञानिक कार्य कर रहें हैं। कृषि को मजबूत करने के लिए पलायन रोकना होगा इसके लिए कृषि से सम्बन्धि उद्योग व अतिरिक्त आय सृजित करने के लिए वैज्ञानिक कार्य में लगे है। 

अन्ना प्रथा के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदारी आवश्यक है। तकनीकी सत्र में जल संरक्षण विषय पर  उमाशंकर पाण्डेय  ने जल संरक्षण पर विशेष वार्ता की। श्री पाण्डेय ने बुन्देलखण्ड में जल संरक्षण, महत्व, विधियाँ एवं पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की। सायंकालीन कार्यक्रम के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के अध्यक्ष,  अयोध्या सिंह पटेल जी,  सदस्य, प्रबन्ध परिषद्, बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा श्रीमती ममता मिश्रा  व डॉ. एस0 के0 सिंह उपस्थित रहे।

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