प्रभागीय वनाधिकारी चित्रकूट आर.के.दीक्षित ने कैसे जुटाई करोड़ों की अवैध सम्पत्ति,उठी जांच की मांग

चित्रकूट,जिला स्तरीय बंधुवा सर्तकता समिति जनपद चित्रकूट के सदस्य रितुराज कुमार वर्मा ने मुख्य वन संरक्षक बुन्देलखण्ड जोन, उ.प्र. झांसी को शिकायती पत्र...

Sep 28, 2022 - 06:53
Sep 28, 2022 - 07:34
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प्रभागीय वनाधिकारी चित्रकूट आर.के.दीक्षित ने कैसे जुटाई करोड़ों की अवैध सम्पत्ति,उठी जांच की मांग
वन जीव प्रभाग

चित्रकूट,जिला स्तरीय बंधुवा सर्तकता समिति जनपद चित्रकूट के सदस्य रितुराज कुमार वर्मा ने मुख्य वन संरक्षक बुन्देलखण्ड जोन, उ.प्र. झांसी को शिकायती पत्र भेजकर प्रभारी प्रभागीय वनाधिकारी आर.के.दीक्षित द्वारा अर्जित की गई करोड़ों की अवैध सम्पत्ति की तथा इनके कृत्यों की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी के माध्यम से कराने की मांग की है।

शिकायती पत्र में  रितुराज कुमार वर्मा ने कहा है कि चित्रकूट वन प्रभाग वन संपदा से पूर्णतया आच्छादित पूर्व से वन प्रभाग रहा है। किन्तु प्रदेश के सबसे जूनियर सहायक वन संरक्षक आर.के.दीक्षित द्वारा वनों को खत्म कराया जा रहा है। सरकार द्वारा प्रेषित विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत आये सरकारी बजट की लूट खसोट के लिये घोर एवं शातिर दिमाग का यह व्यक्ति जमकर सरकारी धनराशि को ठिकाने लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखा है। 

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इसने सरकारी बजट के सरकारी धनराशि को ठिकाने लगाने के लिये वर्ष 2021-22 से वर्ष 2022-23 में अपनी चहेती फर्मों के नाम ठेका करके उनके नाम फर्जी बिल बाउचर अपने अधीनस्थ क्षेत्रीय वनाधिकारियों से बनवा कर फर्मों के नाम एकमुस्त धनराशि निकलवा कर वसूली करवा ली जाती है। भारतीय वन अधिनियम 1980 के अन्तर्गत कोई भी कार्य प्राइवेट संस्था / ठेकेदार / फर्म से नहीं कराई जा सकता है। शासनादेश के अनुसार केवल मजदूरों को मजदूरी का नकद कराकर कार्य कराया जा सकता है।परन्तु आर.के.दीक्षित प्रभारी प्रभागीय वनाधिकारी नियमों की धज्जियों को उड़ाते हुये अपने मनमाने ढंग से शातिर दिमाग का उपयोग कर कोई भी भुगतान मजदूरों को ई-पेमेन्ट के माध्यम से नहीं किया जाता है। जिसके कारण सरकारी धनराशि का बहुत बड़ा घोटाला होता है। 


यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि चित्रकूट वन प्रभाग के अन्तर्गत ए०एन०आर० एन०ए०एफ०सी०सी०, कैम्पा एवं सामाजिक वानिकी तथा जल संरक्षण जैसी योजनाओं के अन्तर्गत चेकडैमों, पत्थर की दीवालें, रपटा निर्माण आदि का कार्य कराया जाता है। जिस पर मौके पर उपलब्ध वन सम्पदा पत्थर बालू, मोरम, गिट्टी आदि का उपयोग इन कार्यों हेतु वहीं से निकाल कर किया जाता है। पैसों के बजट की एवं राजस्व की धनराशि की चोरी हेतु उक्त खनिज सम्पदा को ठेकेदार / फर्म व्यक्ति विशेष से तय कर दुलान करवाना दिखा कर फर्जी भुगतान प्राप्त कर लिया जाता है। जबकि शासनादेश के अनुसार फर्म व्यक्ति विशेष ठेकेदार के बिना प्रपत्र एम0एम0-11 के कोई भी खनिज सम्पदा का क्रय एवं दुलान नहीं किया जा सकता है

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तथा खरीदी गई खनिज की मात्रा का प्रपत्र एम0एम0-11 के बिना ऐसे कोई भी भुगतान नहीं किये जा सकते हैं। परन्तु श्री दीक्षित द्वारा इस प्रक्रिया को दरकिनार कर बिना प्रपत्र एम0एम0-11 के भुगतान कर धनराशि प्राप्त कर ली जाती है।श्री दीक्षित कर्वी मुख्यालय पर कभी भी उपस्थित नहीं रहते हैं लखनऊ में इन्होंने सीतापुर रोड पर 45 बीधे का कृषि फार्म बना रखा है। जिस पर डेरी उद्योग एवं छात्रावास उद्योग, मछली पालन उद्योग आदि में व्यस्त रहते हैं । केवल महीने या सप्ताह में बिल पास करके करोड़ो रूपया लेकर अपने घर के धंधे में समय देते हैं।

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रितुराज कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय वनाधिकारियों द्वारा प्रस्तुत स्टीमेटों में 5 प्रतिशत अन्य व्यय के रूप में धनराशि की कटौती की जाती है। जिसका साल में लगभग दो करोड़ रूपया अपनी निजी गाड़ियों के डीजल और मरम्मत पर सरकारी गाड़ियों के नाम से व्यय कर उपयोग करते हैं। वर्ष 2022-23 में जिन जिन क्षेत्रों में वृक्षारोपण कार्य कराया गया है वहाँ पर बहुत सी ऐसी जगह है जहाँ पर आज भी कोई पौध उपलब्ध नहीं हैं।

मौके पर पचास प्रतिशत से अधिक किसी भी क्षेत्र में या रेंज में पौध जीवित नहीं हैं। माह अगस्त 2022 में क्षेत्रीय वनाधिकारियों द्वारा भाला बनवाई निराई गुड़ाई आदि के फर्जी बिना कर करोड़ों का भुगतान फर्मों के नाम से प्राप्त किये गये हैं। प्रभाग में उपलब्ध पौधों की एक सूचना के अनुसार उपलब्धता पूर्ण दिखाई गई थी लेकिन इसके द्वारा प्रभाग में बाहर की नर्सरी से पौध खरीक के फर्जी बिल बाउचर पास करके नर्सरियों के मालिकों के नाम भुगतान किये गये हैं।

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