आ रही है होली, टेसू के फूलों से होली खेलना इसलिए है जरूरी

आने वाले होली पर्व को देखते हुए इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश स्टेट चौप्टर कमेटी चित्रकूट मंडल के तत्वाधान में..

आ रही है होली, टेसू के फूलों से होली खेलना इसलिए है जरूरी

बाँदा, 

आने वाले होली पर्व को देखते हुए इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश स्टेट चौप्टर कमेटी चित्रकूट मंडल के तत्वाधान में रासायनिक रंगों से बचने और प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल के लिए इस वर्ष भी जनजागरूकता अभियान चलाया  गया। खासकर टेसू के फूलों से होली खेलने को प्रेरित किया गया। इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश स्टेट चौप्टर कमेटी के बैनर तले चित्रकूट मंडल कोऑर्डिनेटर सजल कुमार रेन्डर द्वारा अपने पूज्य पिताजी स्वर्गीय रमेश चंद्र रेन्डर की स्मृति में लगातार दसवें वर्ष भी आम लोगों को रासायनिक रंगों से बचने की सलाह दी गई और प्रकृति द्वारा प्रदत्त रंगों का इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया।

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इस क्रम में एक अभियान आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज बांदा, एक्सिस बैंक बांदा, राजकीय महिला महाविद्यालय बांदा, सेंट जेवियर्स हाई स्कूल बांदा में चलाया गया जिसमें प्रकृति द्वारा प्रदत्त रंग कैसे बना सकते हैं और उन से क्या-क्या लाभ होते हैं तथा रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से होने वाले बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। प्राकृतिक कलर बनाने के लिए उपयोग में आने वाले फल और सब्जियों जैसे संतरा, अंगूर, गेंदे का फूल, गुलाब का फूल,पलाश के फूल हरा धनिया, चुकंदर, गाजर, टमाटर,बैंगन आदि से रंग कैसे बनाते हैं इसके तरीके भी बताए गए। सबसे ज्यादा जोर पलाश के फूलों  टेसू से रंग बनाने पर दिया गया है क्योंकि यह बुंदेलखंड में सर्वाधिक और सुगमता से उपलब्ध है।

होली खेलने के बाद पलाश के फूलों से अपने शरीर को मलने से चेचक जैसी भयानक रोगों से निजात मिलती है। इसके साथ साथ पलाश के फूल डायबिटीज, योन रोग आदि में भी उपयोगी है, जिसके बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम के पश्चात सजल कुमार रेन्डर द्वारा आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य आदरणीय कैप्टन मिथिलेश कुमार पांडे  को, राजकीय महिला महाविद्यालय की प्राचार्या  डॉ दीपाली गुप्ता , सेंट जेवियर हाई स्कूल की प्रधानाचार्या  बहन रीना सिंह, एक्सिस बैंक बांदा के शाखा प्रबंधक  शैलेश पाठक को पलाश के फूलों की थैली और उससे तैयार रंग की बोतल भी भेंट की गई। इस अवसर पर सभी ने इस अभियान को सराहा और एक स्वर से रासायनिक रंगों का इस्तेमाल न करने का संकल्प भी लिया।

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