हमीरपुर के एक सरीला में पत्थर उखाड़ते ही दिवाली की मचती है धूम

बुन्देलखंड में हमीरपुर के एक कस्बे में दिवाली खेलने की बड़ी अनोखी परम्परा कायम है...

हमीरपुर के एक सरीला में पत्थर उखाड़ते ही दिवाली की मचती है धूम

हमीरपुर। बुन्देलखंड में हमीरपुर के एक कस्बे में दिवाली खेलने की बड़ी अनोखी परम्परा कायम है। यहां दशहरे के दिन गड़े गए पत्थर को उखाड़ते ही दीपावली त्योहार की धूम मचती है। इसके लिए तैयारियां अब पूरी हो गई है।

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हमीरपुर जिले के सरीला तहसील मुख्यालय में दीपावली का त्योहार बड़े ही अनोखे ढंग से मनाया जाता है। कस्बे के अस्थाई मांझखोर मोहाल में दशहरे के दिन एक बड़ा पत्थर गाड़ने की परम्परा सैकड़ों सालों से कायम है। यह पत्थर दीपावली त्योहार के दिन उखाड़ मौन चराने वाली टोलियां सामूहिक रूप से उखाड़ती हैं। इस पत्थर के उखाड़ते ही पूरे क्षेत्र में दीपावली की धूम मचती है। दिवाली नृत्य की टोलियां पहले धार्मिक स्थलों पर माथा टेकती है फिर वहां कई घंटे तक दिवाली नृत्य होता है। दिवाली नृत्य के हैरतअंगेज करतब देखने के लिए आसपास के इलाकों से भारी भीड़ जुटती है। बुन्देलखंड की दिवाली की विशेषता यह भी है कि घंटों तक लाठियों से लैस मौनिया मैदान में चारो ओर से घिरने के बाद भी लाठियों के वार से अपने को बचा लेते हैं, लेकिन कोई भी लट्ठमार दिवाली के खेल में आज तक घायल नहीं हुआ।

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ऐतिहासिक मंदिरों के बाहर मौनिएं खेलते हैं दिवाली

बुन्देलखंड के ग्रामीण इलाकों में दिवाली नृत्य का अजब गजब खेल होते हैं, लेकिन हमीरपुर जिले के सरीला कस्बा और आसपास के तमाम इलाकों में दिवाली खेलने वाले एक दूसरे पर जमकर लाठियां भी भांजते हैं। इस खेल में बच्चे भी हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं। सैकड़ों सालों से दिवाली के खेल में छोटी उम्र के लोग भी शामिल होते हैं। जो लाठी से एक दूसरे पर न सिर्फ प्रहार करते है बल्कि मैदान में सामने वाले के प्रहार से भी बचाव करने की मौनियों की अद्भुत कला का प्रदर्शन देख लोग दंग रह जाते हैं।

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दिवाली नृत्य में एक दूसरे पर चलती है लाठियां

सरीला तहसील मुख्यालय और आसपास के तमाम ग्रामीण इलाकों में दीपावली के दीये जलते ही मौनिए दिवाली नृत्य करने लगते हैं। सैकड़ों साल पुरानी परम्परा के दिवाली के खेल से पहले मौनिए बड़े ही उत्साह के साथ पत्थर उखाड़ते हैं, फिर जैसे ही दीपावली के दीये जलते हैं तो सरीला समेत समूचे क्षेत्र में दिवाली की धूम मच जाती है। दिवाली खेलने वाले टोलियां बनाकर ऐतिहासिक शल्लेश्वर मंदिर, बड़ी माता मंदिर, कालिका देवी मंदिर में माथा टेकते हैं, फिर करियारी गांव के पास सौरामठ पर दिवाली नृत्य चलता है।

हिन्दुस्थान समाचार

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