कोरोना ने ली बांदा के पूर्व सांसद और व्यवसायी श्यामाचरण गुप्त की जान

भाजपा के पूर्व सांसद, समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और बड़े व्यवसायी श्यामाचरण गुप्त का  शुक्रवार देर रात निधन हो गया। कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आने..

कोरोना ने ली बांदा के पूर्व सांसद और व्यवसायी श्यामाचरण गुप्त की जान
श्यामाचरण गुप्त

भाजपा के पूर्व सांसद, समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और बड़े व्यवसायी श्यामाचरण गुप्त का  शुक्रवार देर रात निधन हो गया। कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आने के बाद उनका दिल्ली के एक निजी अस्तपाल में इलाज चल रहा था। उनके निधन के बाद व्यापारियों तथा राजनीतिज्ञों में शोक की लहर है। गुप्त 2014 में भाजपा से और उसके पहले 2004 में सपा से लोकसभा के सदस्य रहे। उधर पूर्व सांसद की पत्नी का भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज चल रहा है।

यह भी पढ़ें - राजनीति के खिलाड़ी और कुशल कारोबारी थे पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्ता

श्यामाचरण गुप्त 31 मार्च को कोरोना संक्रमित हो गए थे। रिपोर्ट आने के बाद पूर्व सांसद को प्रयागराज में स्वरूपरानी अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार नहीं होने पर उन्हें  दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था।गुप्त के परिजन ने बताया कि शुक्रवार शाम अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो वेंटिलेटर पर रखा गया। उनके स्वास्थ्य में  कोई सुधार नहीं हुआ और  देर रात उनका निधन हो गया।

उनके निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गहरा दुख व्यक्त किया है। यादव ने शोक संदेश में कहा ​है कि पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्त जी का आकस्मिक निधन हृदय विदारक है। उन्होंने शोक संतप्त परिजन के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

यह भी पढ़ें - चित्रकूट में कोरोना विस्फोट, 56 कोरोना पॉजिटिव मिलने से हडकम्प

गौरतलब है कि श्यामा चरण गुप्त, श्याम समूह की कंपनियों के संस्थापक रहे। उन्होंने 1984 में बांदा से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में  पहला चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के भीष्मदेव दुबे से हार गए।  श्यामाचरण गुप्त 1989 में तत्कालीन  इलाहाबाद के मेयर चुने गये। फिर  1991 में उन्होंने भाजपा के दावेदार के रूप में इलाहाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा, पर सफल नहीं हो सके।

1991 के चुनाव के बाद गुप्त राजनीतिक रूप से करीब  एक दशक से अधिक समय तक निष्क्रिय रहे। फिर उन्होंने 2004 के चुनाव में बांदा सीट से सपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीता। वे फूलपुर से अगला चुनाव हार गए। उनका अंतिम सफल चुनाव 2014 का था। तब वे भाजपा उम्मीदवार के रूप में  इलाहाबाद से सांसद  बने। अंत में उन्होंने 2019 में फिर से सपा का दामन थामा और बांदा लोकसभा  से चुनाव लडे लेकिन चुनाव हार गए।

यह भी पढ़ें - अब बाँदा में शुरू हुई भोजपुरी फिल्म सबका बाप अंगूठा छाप की शूटिंग, फिर लगा मेले जैसा नजारा

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0