डॉ. हीरा लाल के जल संरक्षण मॉडल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना
बांदा जनपद ही नहीं, पूरे बुंदेलखंड को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा...

बांदा। बांदा जनपद ही नहीं, पूरे बुंदेलखंड को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा, तत्कालीन जिलाधिकारी डॉक्टर हीरा लाल ने भी अहम भूमिका निभाई। 2018 में उन्होंने जल संरक्षण की मुहिम छेड़ी और जनता से जुड़कर पानी का महत्व बताया। उन्होंने ‘जल संरक्षण अभियान’ चलाया। इसके अंतर्गत उन्होंने जल संरक्षण के लिए 'भूजल बढ़ाओ, भूजल बचाओ' और इसके बाद 'कुआं तालाब जियाओ' अभियान चलाया।
डॉक्टर हीरा लाल गांव-गांव खुद पहुंचे और तालाबों और कुओं का पूजन कराया। गांवों में जाकर चौपालें लगाईं। लोगों को तालाबों का महत्व बताया। कुओं व तालाबों को साफ कर उनका पूजन कराया। समाजसेवी जल योद्धा उमाशंकर पांडे के साथ मिलकर 'मेड़ में खेत, खेत में मेड' अभियान को भी आगे बढ़ाया और तालाबों में जल संरक्षण किया। हैंडपंप व कुओं में भूजल रिचार्ज के लिए सोकपिट बनवाए। सरकारी कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाए।
डॉक्टर हीरा लाल की करीब डेढ़ साल की मुहिम से जनपद के भूमिगत जलस्तर में काफी सुधार हुआ। इसके लिए उन्हें तमाम पुरस्कार मिले। उनके इस अभियान की गूंज अब विदेशों में भी सुनाई दे रही है। चार जाने-माने प्रसिद्ध लेखकों ने शोध पत्रिका में इस अभियान की न सिर्फ प्रशंसा की है, बल्कि विश्व के देशों में भी डॉक्टर हीरा लाल के मॉडल को लागू करने का सुझाव दिया है।
अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ लेख
डॉक्टर हीरा लाल ने अपने अभियान के लेख में प्रकाशित होने की जानकारी दी है।
उनके बांदा जल संरक्षण कार्य को "Empowering Communities: A Low-Cost Approach to Land and Water Management in Developing Countries" शीर्षक से ऑनलाइन प्रकाशित एक लेख में हाइलाइट किया गया है। यह लेख प्रतिष्ठित शोध पत्रिका Land Degradation & Development में प्रकाशित हुआ है। इस शोध को चार प्रसिद्ध प्रोफेसरों ने लिखा है:
- प्रोफेसर नितिन सिंह, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रांची, भारत
- प्रोफेसर अंशुमान हजारिका, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रांची, भारत
- प्रोफेसर जस्टिन झोपेंग झांग, नॉर्थ फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, अमेरिका
- प्रोफेसर यूरी बिलान, रेज़ज़ोव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रेज़ज़ोव, पोलैंड
बांदा मॉडल की सफलता
इस अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन में बांदा के मॉडल को विकासशील क्षेत्रों में सतत जल संरक्षण के लिए एक प्रभावी और व्यापक समाधान के रूप में स्थापित किया गया है। नीचे से ऊपर की रणनीति, स्थानीय अनुकूलित समाधान और जन भागीदारी ने इस मॉडल को सफल बनाया है। यह स्थानीय मॉडल वैश्विक जल संकट के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर लागू किया जा सकता है। इसे एक 'ग्लोकल' (स्थानीय मॉडल जो वैश्विक रूप से लागू किया जा सकता है) मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।
इस मॉडल ने चार प्रतिष्ठित प्रोफेसरों का ध्यान आकर्षित किया, जिसके चलते इसे एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस खबर से न सिर्फ बांदा, बल्कि पूरे भारत में हर्ष और गर्व का माहौल है। डॉक्टर हीरा लाल के इस प्रयास ने यह साबित कर दिया है कि यदि दृढ़ संकल्प और जन भागीदारी के साथ काम किया जाए, तो किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
https://www.drheeralalias.in/
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