बदलते समय के साथ बढ़ती जा रही है डिजिटल क्रान्ति
समय बहुत तेजी से बदल चुका है! पहले हम लोग कभी किसी परिवार में जाते थे और...
डिजिटल क्रांति से बदलता ‘सामाजिक परिवेश’
समय बहुत तेजी से बदल चुका है! पहले हम लोग कभी किसी परिवार में जाते थे और छोटे बच्चे से बात करते थे, तो बच्चा क्या करता था? अगर आप चश्मा पहने हुए हैं तो खींच कर ले जाता था या आपके जेब मे पेन है तो उसको उठा कर ले जाता था। लेकिन आज वह ना तो चश्मे को हाथ लगाता है, ना ही पेन को। वह सीधे आपका मोबाइल फोन खींचता है, मोबाइल फोन हाथ में आते ही ठीक से पकड़ता है और आप फिर जरा गौर करना कि मोबाइल फोन छीनते ही अपना कार्य शुरू कर देता है। और अगर वह जैसा चाहे वैसा ऑपरेशन नहीं होता तो रोने लगता है। यानी वह कुछ समझे या न समझे ‘‘डिजिटल ताकत’’ को समझता है।
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समय की मांग है कि हम इस बदलाव को समझें और अगर हम इस बदलाव को नहीं समझेंगे तो हम कहीं पड़े रहेंगे कोने में। दुनिया दूर चली जाएगी और हम देखते ही रह जाएंगें। एक समय था जब सदियों पहले लोग नदी के तट पर बसते थे, अर्थात गांव-शहर बसते थे नदी के तट पर या समुंदर के किनारों पर।
समय बदल गया है। अब जहां-जहां से हाइवे गुजरते हैं, शहर वहां बसना शुरू हो गए हैं। लेकिन अब मानव जाति वहीं पर बसती है जहां से ऑप्टिकल फाइबर गुजरता होगा। यह बहुत बड़ा बदलाव आया है और इसलिए अगर विश्व के अंदर सवा सौ करोड़ का देश अपने शक्ति का एहसास कराना चाहता है, तो जो हजारों वर्ष पुरानी महान संस्कृति है। हम सवा सौ करोड़ देशवासी 45 वर्ष से कम आयु के हैं। अब ये गीत गाने से बात बनने वाली नहीं है। यह जो भी विरासत है, जो समर्थ है। उसके साथ आधुनिक विज्ञान को आधुनिक टेक्नालॉजी को जोड़ना अनिवार्य है। अगर डेमोग्राफिक डिविडेंड को अगर डिजिटल ताकत नहीं मिलेगी तो यह ”डेमोग्राफिक डिविडेंड“ हम ग्लोबल लेवल पर जितनी मात्रा में लाभ उठाना चाहिए वह नहीं उठा पाएंगे, इसलिए देश को तैयार करने की आवश्यकता है।
'डिजिटल क्रांति से वंचित लोग'
आज हमारे देश में लगभग 25 से 30 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं। उपभोक्ता की दृष्टि से तो विश्व की संख्या बहुत बड़ी है, लेकिन जो इससे वंचित हैं, वह संख्या भी विश्व के हिसाब से बड़ी है। जिनकी अपनी पहुंच थी, जिनकी अपनी शक्ति थी, जो स्वयं कर सकता था, जिसको जरूरत थी, उन्होंने तो अपना कर लिया। लेकिन जो स्वयं नहीं कर सकता, उसको उसके तस्वीर पर छोड़ देना चाहिए। देश का एक वर्ग तो डिजिटल क्रांति के साथ बहुत तेज गति से आगे बढ़ता है, और देश का सबसे बड़ा वर्ग उससे वंचित रह जाए। जो अमीर और गरीब की खाई के कारण समस्याएं पैदा होती है, शहर और गांव में सुविधा के कारण जो खाई पैदा होती है, उससे भयंकर स्थिति ‘‘डिजिटल’’ में भाग न लेने के कारण पैदा होती है।
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’डिजिटल क्रांति ने दिया समाज को जनमंच’
आज का समाज कितना आगे निकल चुका है, जहां पर लोग चंद सेकेंड में पूरे देश-विदेश के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। इंटरनेट का प्रयोग आज छोटे से छोटा बच्चा करता है। दुनिया जिस प्रकार से बदल रही है, उन सबके पीछे की अहम भूमिका है ’डिजिटल क्रांति’। मान लीजिए कि आपको आज किसी अच्छे होटल में खाना खाने के लिए जाना है, परिवार के चार-पांच लोग बैठकर यह चर्चा करें कि कहां जाएंगे, और आपका 15 से 16 वर्ष का बच्चा वह तुरंत सुनता है तो वह क्या करता है ? तुरंत वह गूगल गुरु के पास जाता है और पूरी जानकारी पल भर में निकाल लेता है। इस सपने को साकार करने में टेक्नोलॉजी बहुत बड़ा रोल प्ले करती है। ‘‘ई-गवर्नेंस’’ सामान मानव की जो शासकीय सेवाओं में उसका हक है, उसको प्राप्त करने के लिए उत्तम से उत्तम मार्ग है ‘‘ई-गवर्नेंस। बहुत तेजी से एम-गवर्नेंस में बदलने वाला है, जिसमें सारा कारोबार सारी आवश्यकता व सारी व्यवस्थाएं मोबाइल फोन के इर्द-गिर्द पूरी सरकार आपके मोबाइल फोन में उपस्थित होने वाली है। तो वह दिन दूर नहीं है, यह जो परिवर्तन आ रहा है। इस परिवर्तन के लिए हमें अपने आप को सजग करना चाहिए। आज अगर हम देखें तो वह हम 19वी शताब्दी से से इन कामों को तेज गति से आगे बढ़ाने की आवश्यकता थी। सजग विश्व में औद्योगिक क्रांति दंे कि हम पिछड़ गए, क्योंकि हम गुलाम थे।
’सरकार के प्रयास’
डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकारें भी अपना पूरा प्रयास कर रही है। अन्य क्षेत्रों में स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई सारे ठोस कदम सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब हमारे हिंदुस्तान का सवा सौ करोड़ नौजवान अपने-अपने कार्य में तत्परता से आत्मनिर्भर बनेगा। समय-समय पर सरकार द्वारा लोगों को डिजिटल से जोड़ने के लिए कठोर कदम उठाए जाते हैं, उनको लुभावना तरीकों से जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है।
डिजिटल इंडिया के नौै स्तंभ
1. ब्रॉड बैंक हाईवेज
2. सबकी फोन तक पहुंच
3. सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम
4. ई गवर्नेंस तकनीकी सहायता से सरकारी तंत्र सुधार
5. ई क्रांति सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी
6. सबको सूचना प्रदान करना
7.इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में शून्य आयात
8. ’नौकरियों के लिए
9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम
केंद्र के साथ ही विभिन्न राज्यों की सरकारों का प्रयास है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उपभोक्ताओं को सीधे ही मिले और राशि सीधे उनके बैंक खातों तक पहुंचे, इसमें उपभोक्ता की पहचान को सुनिश्चित करने में आधार संख्या महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत ई-लॉकर एवं अन्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए भी आधार कार्ड संख्या का होना आवश्यक है।
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निष्कर्ष
किसी भी राष्ट्र के समावेशी विकास हेतु आवश्यक है कि ऐसी कोई भी सामाजिक उत्थान की योजना समाज के निर्मल एवं अपवर्जित लोगों की आशाओं को उड़ान दे, ज्ञानवर्धन और प्रतिभा कौशल के विकास के अवसर देख तस्वीर भी अपने जीवन स्तर को बेहतर करने में सक्षम बने, और देश की उन्नति का हिस्सा बनें। यदि सभी बच्चों को शिक्षा मिले, सभी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो, और पात्रता अनुसार लाभ, बिना किसी भेदभाव, भ्रष्टाचार या मनमानी के प्राप्त हो तो आदर्श राष्ट्र की स्थिति दिखाई देगी। सरकारी तंत्र की जवाबदेही और पारदर्शिता भी बढ़ेगी। डिजिटल इंडिया का क्रम निश्चित तौर पर वर्तमान समय की आवश्यकता और दूरगामी सोच को ध्यान में रखते हुए विशाल स्तर पर तैयार किया जाये। यह संतुलित कार्यक्रम है जो दीर्घावधि में ’सकारात्मक’ सामाजिक परिवर्तन की दिशा में उन्मुख होगा।