यूपी में विभागीय कार्रवाई अब फाइलों में नहीं रहेगी कैद, जांच प्रक्रिया में लाए जा रहे हैं बड़े सुधार
उत्तर प्रदेश में विभागीय कार्रवाई को लेकर अब एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। अब किसी भी जांच के...
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विभागीय कार्रवाई को लेकर अब एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। अब किसी भी जांच के नाम पर कर्मचारियों का उत्पीड़न नहीं होगा और विभागीय कार्रवाई सिर्फ फाइलों में बंद होकर नहीं रह जाएगी। जांच प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के उद्देश्य से कार्मिक विभाग ने ठोस कदम उठाने की घोषणा की है।
कार्मिक विभाग अब सभी विभागाध्यक्षों से निर्धारित प्रारूप पर पूरी रिपोर्ट मांगने जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी मामला लटकने न पाए। विभाग का मानना है कि जांच के नाम पर होने वाला खेल अब खत्म होना चाहिए। दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाएगी और निर्दोषों को झूठे मामलों में फंसने से बचाया जाएगा।
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निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई का होगा पालन
कार्मिक विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो कर्मचारी जांच के बाद निर्दोष पाए जाते हैं, उनसे पूरा काम लिया जाएगा और उन्हें अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा। समयसीमा के भीतर जांच पूरी करने और दोषियों को उचित सजा देने की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है। साथ ही, आवश्यकता के आधार पर कर्मचारियों से कार्य लेने की भी योजना है।
कर्मचारी आचरण नियमावली का होगा सख्ती से पालन
विभाग ने कर्मचारी आचरण नियमावली को पहले ही लागू कर रखा है, जिसके तहत नियम विरुद्ध कार्य करने पर कर्मियों को सजा दी जाती है। लेकिन कई कर्मचारियों ने यह आरोप भी लगाए हैं कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है। ऐसे आरोपों से निपटने के लिए विभाग जल्द से जल्द मामलों की जांच पूरी कर दोषियों को सजा देगा और निर्दोष कर्मचारियों को माफी दी जाएगी।
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सभी विभागों से मांगी जाएगी रिपोर्ट
विभागीय स्तर पर लंबित मामलों की स्थिति का जायजा लेने के लिए अब सभी विभागों से रिपोर्ट मांगी जा रही है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि किस विभाग में कितने मामले अभी तक लंबित हैं और उनके निपटारे के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
इस कदम से उम्मीद है कि यूपी में विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी, जिससे कर्मचारियों के प्रति न्याय सुनिश्चित हो सकेगा।
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