छतरपुर की गंगा ने चंदेलकालीन तालाब को इस तरह किया पुनर्जीवित, मिला राष्ट्रपति सम्मान

छतरपुर जिले में बड़ामलहरा ब्लाक के पिछड़े गांव भोयरा के मजरे चौधरी खेड़ा की 35 वर्षीय गंगा राजपूत ने  साथी...

Mar 10, 2023 - 05:42
Mar 10, 2023 - 05:54
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छतरपुर की गंगा ने चंदेलकालीन तालाब को इस तरह किया  पुनर्जीवित, मिला राष्ट्रपति सम्मान

 छतरपुर जिले में बड़ामलहरा ब्लाक के पिछड़े गांव भोयरा के मजरे चौधरी खेड़ा की 35 वर्षीय गंगा राजपूत ने  साथी महिलाओं की मदद से गांव में चंदेलकालीन 12 एकड़ में फैले मृत तालाब को जीवित कर दिया। इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान प्रदान किया है। 

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गंगा राजपूत पत्नी जगदीश राजपूत बताती है कि गांव में पीने के पानी के लिए तीन-चार किमी दूर जाना पड़ता था। गांव का बाबा तालाब वर्ष 1999 से ही सूखा हुआ था। लोग कहते गांव के पूर्व सरपंच ने तालाब का जीर्णाेद्वार करवाना शुरू किया था तो उनके दो बच्चों की मौत हो गई थी। इस भ्रांति से गांव के लोग तालाब के पास तक नहीं जाते थे। धीरे-धीरे गांव का यह चंदेलकालीन तालाब सूख गया। गंगा बताती है कि 2019 में गांव में जल संरक्षण पर कार्यशाला में शामिल होकर उन्होंने इस तालाब का जिक्र किया। जिसके बाद तालाब को जीवित करने की योजना बनाई गई। परमार्थ समाजसेवी संस्था से जुड़कर जल संरक्षण के कार्य शुरू किए। जल सहेली बनीं और गांव की 25 महिलाओं का समूह बनाकर तालाब को जीवित करने का कार्य शुरू किया।

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गंगा राजपूत कहती हैं जब तालाब पर काम करना शुरू किया गया तो लोग कहते थे वंश बर्बाद हो जाएगा।इन बातों को दरकिनार कर तालाब की सफाई का कार्य जारी रखा। गाद साफ की, जहां फूटा था, उसकी मरम्मत का कार्य शुरू किया। तालाब भरने के लिए पास की बछेड़ी नदी में चेक बंधान किया। दो वर्ष की मेहनत से 2021 में यह मृत तालाब जीवित हो गया। चौधरी खेड़ा मजरा के बाबा तालाब में अब वर्ष भर पानी रहता है। पहले गांव में बमुश्किल से दो एकड़ में खेती हो पाती थी, लेकिन अब 80 एकड़ से ज्यादा जमीन में सिंचाई के लिए यह तालाब पानी दे देता है। इन दिनों तालाब के आसपास गेहूं की फसल लहलहा रही है।
सम्मान मिलने पर गंगा राजपूत ने बताया कि उन्होंने गांव में जब अंधविश्वास से सूख चुके तालाब को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया था तो कभी यह नहीं सोचा था कि इतना बड़ा सम्मान मिलेगा। सम्मान मिलने से उनका उत्साह कई गुना बढ़ा है। अब जल संरक्षण के लिए अलख जगाने में और तेजी लाएंगीं।

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