कैबिनेट की लगी मुहर-केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट घरातल पर नजर आयेगा
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पर कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति की मुहर लग जाने से अब काम..
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पर कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति की मुहर लग जाने से अब काम शुरू होने में देर नहीं है। यह बड़ा प्रोजेक्ट बुंदेलखंड की उजड़ी तस्वीर में खुशहाली के रंग भरने वाला होगा। कैबिनेट ने नदियों को जोड़ने की केन-बेतवा परियोजना को स्वीकृति दी है।
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कैबिनेट की बैठक में कहा गया है कि परियोजना पर 44,605 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसे 8 वर्षों में पूरा किया जाएगा। 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्ना करने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्नाा और टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी जिलों को पानी मिलेगा, वहीं यूपी के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों में बारहमासी सूखा प्रवण क्षेत्र और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में 10.62 लाख हेक्टेयर में सिंचाई प्रदान करेगी।
इसके साथ यह परियोजना 62 लाख लोगों को पेयजल भी उपलब्ध कराएगी। इससे इस बात के संकेत मिल गए हैं कि बुंदेलखंड के एमपी और यूपी के 12 जिलों को पानी देने वाली 15 साल से अटकी केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम शुरू होने में अब देर नहीं है। इस परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में एमपी व यूपी दोनों प्रदेशों के बीच अनुबंध हुआ था।
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तब मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन परियोजना का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार नहीं हुआ था, अब डीपीआर भी तैयार है और कैबिनेट की मुहर भी लग जाने से सुखद परिणाम शीघ्र सामने आएंगे।
इस परियोजना को लेकर एमपी और यूपी के बीच का विवाद इसी साल 8 मार्च को विश्व जल दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सुलझाकर केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए (एमओए) मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस एमओए पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्य ने हस्ताक्षर किए हैं। इसके अनुसार करोड़ों रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि शेष 5-5 प्रतिशत हिस्सेदारी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकारें वहन करेंगी। इससे नॉन मानसून सीजन (नंवबर से अप्रैल के बीच) में मध्य प्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) व यूपी को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।
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