बुंदेलखंड नेचुरल संस्था ने शुरू किया बुंदेलखंडी बकरी का डोर-टू-डोर सर्वे

बांदा स्थित बुंदेलखंड नेचुरल संस्था ने बुंदेलखंड क्षेत्र की देसी नस्ल, बुंदेलखंडी बकरी, पर एक व्यापक सर्वेक्षण शुरू किया है। यह सर्वे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में चल ...

बुंदेलखंड नेचुरल संस्था ने शुरू किया बुंदेलखंडी बकरी का डोर-टू-डोर सर्वे

बांदा, बांदा स्थित बुंदेलखंड नेचुरल संस्था ने बुंदेलखंड क्षेत्र की देसी नस्ल, बुंदेलखंडी बकरी, पर एक व्यापक सर्वेक्षण शुरू किया है। यह सर्वे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में चल रहा है। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि बुंदेलखंडी बकरी की रोग प्रतिरोधक क्षमता देश की अन्य नस्लों की तुलना में कैसी है। कम चारे में अधिक दूध उत्पादन और बेहतर दूध गुणवत्ता इसे खास बनाती है।
महात्मा गांधी ने बकरी को गरीब की गाय कहा था। बुंदेलखंड की भौगोलिक परिस्थितियां, जलवायु और पर्यावरण बकरी पालन के लिए अनुकूल हैं। बकरी का दूध औषधीय गुणों से भरपूर है, जिससे परिवार को पोषण और पालक को नियमित आय मिलती है। इस क्षेत्र की बुंदेलखंडी बकरी जुड़वा बच्चों के जन्म का उच्च प्रतिशत, औसतन 1 किलो दूध उत्पादन, और कठिन परिस्थितियों में भी अच्छे वजन की वृद्धि के लिए जानी जाती है।
बुंदेलखंड नेचुरल्स किसानों को बकरी पालन का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। प्रशिक्षण में उन्नत नस्ल का चयन, नस्ल सुधार, आधुनिक आवास प्रबंधन, संतुलित आहार, गर्भकाल प्रबंधन, और मृत्यु दर कम करने की विधियों पर ध्यान दिया जाता है।बकरी पालन से किसान उच्च गुणवत्ता वाले पोषण (दूध) और खेतों के लिए प्राकृतिक खाद (लेंडी खाद) प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, यह आय का एक स्थिर और लाभकारी स्रोत है।
राष्ट्रीय बकरी एवं भेड़ पालन किसान कल्याण संघ के उपाध्यक्ष तथा बुंदेलखंड नेचुरल संस्था का संचालन करने वाले प्रगतिशील किसान मोहम्मद असलम ने बताया कि 2014 में बुंदेलखंडी बकरी का पंजीकरण कराया गया था। अब, सर्वे के माध्यम से जानकारी एकत्र कर सरकार को अवगत कराया जाएगा, ताकि किसानों को बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

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