बीएलडब्ल्यू ने खास इलेक्ट्रिक इंजन राष्ट्र को किया समर्पित

डीपीडब्ल्यूसीएस मालगाड़ी के लम्बी दूरी के संचालन के लिए अत्याधुनिक तकनीक डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल..

बीएलडब्ल्यू ने खास इलेक्ट्रिक इंजन राष्ट्र को किया समर्पित
बीएलडब्ल्यू ने खास इलेक्ट्रिक इंजन राष्ट्र को किया समर्पित

वाराणसी,

  • पहली बार इंजन में डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम स्थापित तकनीक का इस्तेमाल

डीपीडब्ल्यूसीएस मालगाड़ी के लम्बी दूरी के संचालन के लिए अत्याधुनिक तकनीक डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम से स्थापित इलेक्ट्रिक इंजन को बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इस इंजन को बनाने में बरेका ने पहली बार ऐसी तकनीक लगाई है। ये तकनीक बिना कपलर बलों को बढ़ाए कई माल इंजनों के संचालन को सक्षम बनाता है।

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उक्त जानकारी रविवार को बनारस रेल इंजन कारखाना के जनसम्पर्क अधिकारी राजेश कुमार ने देते हुए बताया कि ये लोकोमोटिव पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में भारी अनुगामी भार को भी ढोएंगे। उन्होंने बताया कि महाप्रबंधक अंजली गोयल के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में निष्ठावान अधिकारियों एवं रेल कर्मचारियों ने अपनी लगन और परिश्रम से डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल प्रणाली को विद्युत लोको में सफलता पूर्वक लगाकर बरेका के लिए उपलब्धियों में एक नया सोपान जोड़ा है। 

बनारस लोकोमोटिव वर्क्स भारतीय रेलवे को लोकोमोटिव उत्पादन के क्षेत्र में बड़ा योगदान दे रहा है। उन्होंने बताया कि डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल प्रणाली युक्त डब्ल्यूएजी-9 श्रेणी के दो विद्युत रेल इंजनों 41152 एवं 41157 का सफलता पूर्वक निर्माण कर राष्ट्र को समर्पित किया गया। इन विद्युत रेल इंजनों को दक्षिण मध्य रेलवे के लालागुड़ा लोको शेड को निर्गत किया गया है।  

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  • इंजन की विशेषता

डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल प्रणाली लम्बी मालवाहक ट्रेनों के संचालन के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है, जो कपलर बल में वृद्धि किए बिना ट्रेन की संरचना में विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग रेल इंजनों (1आगे$3पीछे तक) को लगाकर मालवाहक इंजनों को बहुउद्देशीय परिचालन के लिए सक्षम बनाती है। आगे लगे हुए इंजन द्वारा पीछे लगे हुए इंजनों का नियंत्रण वायरलेस कम्यूनिकेशन के माध्यम से 3 किमी की दूरी तक होता है। पूर्वी एवं पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में उच्च भार वाली गाड़ियों के वहन में भी इन रेल इंजनों का प्रयोग किया जा सकेगा। 

डीपीडब्ल्यूसीएस से सेक्शन के थ्रोपुट (क्षमता) में वृद्धि होगी, रेल इंजन का सुदूर नियंत्रण, दक्ष ट्रेन प्रबंधन भी होगा। इससे कपलर बल की कमी, कपलर की विफलता समाप्त हो जाती है। दक्ष ब्रेक नियंत्रण, ब्रेक बाइंडिंग की समस्या से छुटकारा, ब्रेकिंग डिस्टेंस की कमी तथा तत्संबंधी टूट-फूट में कमी होती है। इसके अलावा तीव्रतर चार्जिंग (मल्टी प्वाइंट), जिससे ब्रेक रिलीज समय कम हो जाता है। वायरलेस तकनीक के माध्यम से मल्टीपल रेल इंजन का परिचालन होगा।

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हि.स

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