यमुना नदी में 15 लोगों की जल समाधि के बाद, अधूरे पड़े पुल की आई याद
यमुना नदी पर मरका से जनपद फतेहपुर के कौहन को जोड़ने वाले मरका घाट में निर्माणाधीन पुल 11 साल से अधूरा पड़ा है..
बांदा,
यमुना नदी पर मरका से जनपद फतेहपुर के कौहन को जोड़ने वाले मरका घाट में निर्माणाधीन पुल 11 साल से अधूरा पड़ा है। अगर यह पुल बन गया होता तो रक्षाबंधन के दिन यमुना नदी में जो नाव हादसा हुआ, जिसमें 15 लोगों की जल समाधि बन गई, शायद यह हादसा न हुआ होता। शासन प्रशासन को भी अब इस अधूरे पुल की याद आई है। घटना के तीन दिन बाद जिला अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर कार्य को तेज करने के निर्देश दिए हैं। जबकि अभी तक इस पुल की किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली थी।
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जनपद के मरका थाना अंतर्गत हुई नाव दुर्घटना के 3 दिन बाद जिला अधिकारी अनुराग पटेल उस पुल को देखने गए जो वर्षों से अधूरा पड़ा है। अगर यह पुल बन जाता तो यमुना नदी को नाव के जरिए पार करने वाले ग्रामीणों को जान जोखिम में नहीं डालनी पड़ती। निरीक्षण के दौरान जिला अधिकारी ने कार्यदाई संस्था के अधिकारियों को जल्द से जल्द अधूरे पुल उनको पूरा कराने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़े तो मजदूरों की संख्या दोगुनी कर दी जाए।
इस बारे में उप परियोजना प्रबन्धक, सेतु निगम, बांदा अरूण कुमार ने बताया कि यमुना नदी बबेरू-मर्का मार्ग पर मर्काघाट पर निर्माणाधीन सेतु परियोजना वर्ष 2010-11 में 13 सितम्बर 2011 को स्वीकृत हुई। परियोजना की स्वीकृत लागत 5645.76 लाख है। जिसमें कार्यदायी विभाग को 3894.00 लाख सेतु अंश एवं शेष 1751 लाख लोक निर्माण विभाग बांदा को एप्रोच रोड़ के लिए था। उक्त परियोजना का 31जनवरी 2020 को 8780.92 लाख का पुनरीक्षित आगणन स्वीकृत को भेजा गया। शासन द्वारा 12 जुलाई 2021 को पुनरीक्षित आगणन स्वीकृत किया गया। उक्त परियोजना का कार्य पुनः नवम्बर, 2021 में प्रारम्भ किया गया था, वर्तमान में कार्य प्रगति पर है।
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उप परियोजना प्रबन्धक द्वारा बताया गया कि परियोजना का 74 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। उक्त सेतु में कुल 31 पिलर है जिसमें फतेहपुर की ओर 8 पिलर एवं बांदा की ओर 4 पिलर पर कार्य चल रहा है। साथ ही अवगत कराया गया कि सेतु में पहले 02 बीम वाली स्लैब में 60 स्पॉम बननी थी, परन्तु अब 3 बीम वाली स्लैब में 90 स्पॉम बनने है। साथ ही सेतु की लम्बाई 02 पिलर अर्थात् लगभग 70 मीटर अधिक हो गयी है।
इस संबंध में पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बताया कि अपने पीडब्ल्यूडी मंत्रित्वकाल में उन्होंने वर्ष 2011 में मरका घाट पर पक्का पुल स्वीकृत कराने के साथ ही इसका खुद शिलान्यास भी किया था। स्टीमेट और जरूरत के अनुसार बजट भी दिया गया था, लेकिन उसके बाद आई प्रदेश सरकारों ने इस पुल पर तवज्जो नहीं दी। वजट भी नहीं दिया, जिसके कारण यह पुल अधूरा पड़ा है और इसकी लागत भी कई गुना बढ़ गई।
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