कालिंजर में खुदाई के दौरान निकली 10 वीं शताब्दी की मूर्तियां, इन्हें  किसने दीवार के पीछे चुनवा दिया था, जानिए

जनपद बांदा में चंदेल शासकों द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक कालिंजर दुर्ग के कोटि तीर्थ सरोवर की दीवार में खुदाई...

कालिंजर में खुदाई के दौरान निकली 10 वीं शताब्दी की मूर्तियां, इन्हें  किसने दीवार के पीछे चुनवा दिया था, जानिए

 जनपद बांदा में चंदेल शासकों द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक कालिंजर दुर्ग के कोटि तीर्थ सरोवर की दीवार में खुदाई के दौरान हिंदू देवी देवताओं की बड़ी संख्या में मूर्तियां निकली हैं।  जिन्हें पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में लेकर साफ सफाई कराई है ताकि इन्हें संरक्षित किया जा सके। इस दुर्ग में पहले भी खुदाई के दौरान मूर्तियां और तोप के गोले निकल चुके हैं।

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इस बारे में कालिंजर शोध संस्थान के निदेशक अरविंद छिरौलिया ने बताया कि कालिंजर दुर्ग में ही कोर्ट तीर्थ सरोवर है। प्रशासन द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। बताया कि सरोवर का पानी दीवार के किसी हिस्से से बह जाता था। जिससे प्रशासन द्वारा पुरानी दीवार तोड़कर नई दीवार का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने  बताया कि 1812 से 1947 के बीच ब्रिटिश शासन के समय पर हिंदू धर्म से जुड़ी स्मृतियों को नष्ट कराने का काम किया जा रहा था। इसी दौरान कोर्ट तीर्थ सरोवर के चारों ओर दीवार बनाकर अंग्रेजों ने हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों को दीवार के पीछे चुनवा दिया था। दीवार तोड़ने के कारण यह सभी मूर्तियां बाहर आ गई हैं।खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों में भगवान विष्णु, गणेश लक्ष्मी जी और पार्वती जी के अलावा शिवलिंग भी है  शिवलिंग को छोड़कर सभी मूर्तियां खंडित हैं। इन मूर्तियों के साथ कुछ कलाकृतियां भी निकली है इनमें नक्काशी की गई हैं।
सभी मूर्तियों को पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है। इन सभी मूर्तियों को राजा अमन सिंह के महल पर रखा जा रहा है। इनमें पहले निकली मूर्तियां भी रखी गई हैं। इसके बाद इनमें नंबरी की जाएंगी।

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बताते चलें कि इस दुर्ग का निर्माण चंदेल शासक यशोवर्मन ने कराया था। उस दौरान इसी दुर्ग में कारीगरों द्वारा मूर्तियां भी तैयार की जाती थी। खजुराहो में बनी मूर्तियां भी कालिंजर दुर्ग के कारीगरों द्वारा बनाई गई थी। राजा यशोवर्मन ने हीं कालिंजर दुर्ग में 84 मंदिरों का निर्माण कराया था। इनमें नीलकंठेश्वर मंदिर भी शामिल है।इस बारे में कालिंजर शोध संस्थान के निदेशक अरविंद छिरौलिया ने यह भी बताया कि यहां खुदाई के दौरान पहले भी मूर्तियां और तोंप के  गोले निकले थे। जिन्हें पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया था। 1960 से पुरातत्व विभाग के संरक्षण में कालिंजर दुर्ग है।

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इस बारे में पुरातत्व विभाग झांसी मंडल के अधीक्षक जुल्फिकार अली द्वारा बताया गया है कि यहां गुप्त काल से लेकर बुंदेले चंदेल राजाओं का शासन रहा है। यहां निर्माण कार्य के दौरान पहले भी कई मूर्तियां मिल चुकी हैं। अभी कोर्ट तीर्थ सरोवर के निर्माण के दौरान यह मूर्तियां मिली हैं। इन्हें संग्रहालय में रिकॉर्डिंग करके रखा जाएगा। जो मूर्तियां मिली हैं वह नवमी दसवीं शताब्दी के अलावा इसके पूर्व की भी है।

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