बाँदा : 30 साल पुराने छात्र जब अपने गुरूजनों से मिले तो छलक पड़ी आंखें
कार्यक्रम का शुभारम्भ अपने तय समय पर मां सरस्वती की वंदना से हुआ, तत्पश्चात अतिथियों का बैज अलंकरण सम्मान..
- पुरातन छात्रों की मेहनत से ही इस विद्यालय का गौरव बढ़ा : शिवबली सिंह
- सरस्वती विद्या मन्दिर की पुरातन छात्र परिषद ने कराया सम्मेलन
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इस विद्यालय को शिखर तक पहुंचाने में पुरातन छात्रों का कम योगदान नहीं है। यह विद्यालय भवन की वजह से नहीं बल्कि आप सभी छात्रों की लगन व मेहनत से इस स्थान तक पहुंचा है। यह बात सरस्वती विद्या मंदिर इंटर काॅलेज बांदा में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आयोजित पुरातन छात्र सम्मेलन में विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य शिवबली सिंह ने कही। इस सम्मेलन का आयोजन विद्यालय की पुरातन छात्र परिषद ने किया था।
पूर्व प्रधानाचार्य शिवबली सिंह ने उस समय का उदाहरण देते हुए अपनी बात कही जब विद्यालय सबसे पहले शहर के झंडा चैराहे पर स्थित था। उन्होंने बताया कि उस समय न खेल का मैदान था और न कक्षाओं में पंखे लगे थे। उसी दौरान एक डाॅक्टर अपने बच्चे का एडमिशन कराने आए थे।
लेकिन कक्षा में पंखा तक न होने से वापस लौट गए थे, लेकिन अगले ही दिन फिर लौट कर आए और कहा कि उन्होंने बहुत जगह पता किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि यही विद्यालय सर्वश्रेष्ठ है। परन्तु उन्होंने उन डाॅक्टर से कहा कि आप चाहें तो आप अपने बच्चे की कक्षा में पंखा लगवा दें। कुछ ऐसे कठिन परिश्रमों और एक एक सीढ़ी चढ़ते हुए आज यह विद्यालय जो कुछ भी मुकाम हासिल कर पाया है, उसमें यहां के पुरातन छात्रों व उनके परिजनों का पूरा सहयोग है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अपने तय समय पर मां सरस्वती की वंदना से हुआ, तत्पश्चात अतिथियों का बैज अलंकरण सम्मान के बाद पुरातन छात्रों और विद्यालय के बीच संवाद कड़ी के रूप में प्रधानाचार्य अतुल बाजपेई ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा सामने रखी। उन्होने पुरातन छात्र परिषद को हर सम्भव सहयोग देने की बात की।
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विद्यालय समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह एवं प्रबन्धक विजय ओमर ने भी पूर्व छात्रों को धन्यवाद देते हुए परिषद के कार्यों की सराहना की।
पुरातन छात्र परिषद के अध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी ने पुरातन छात्र परिषद के गठन व उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया और यह भी बताया कि भविष्य में इस परिषद की क्या योजनायें हैं। जैसे परिषद द्वारा प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को यह कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। इस हेतु पूरे वर्ष भर बैठकें होंगी जिससे अधिक से अधिक पुरातन छात्रों को इस कार्यक्रम में जोड़ा जा सके। एक पुरातन छात्र कक्ष के निर्माण की भी योजना है। परिषद का एक बैंक एकाउंट भी खोला जायेगा। शिक्षण सत्र के दौरान अपने अपने क्षेत्रों में सफल पुरातन छात्रों को विद्यालय भी बुलाया जायेगा और विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों के साथ उनका संवाद भी कराया जायेगा।
परिषद के सदस्य व कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्याम जी निगम ने बताया कि पुरातन छात्र परिषद की एक वेबसाइट भी बनाई जायेगी। जिसमें परिषद की समस्त जानकारियों को समय-समय पर समाहित किया जायेगा। इस वेबसाइट के रखरखाव व संचालन से सम्बन्धित सभी खर्चों इत्यादि को परिषद के सदस्य उन सहित सचिन चतुर्वेदी व अभिषेक सिंह द्वारा किया जायेगा। उन्होंने भी पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया कि विद्यालय से जो संस्कार मिले हैं वही संस्कार आने वाली पीढ़ी को भी मिले इसके लिए प्रयास करना चाहिए।
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पुरातन छात्र दिनेश कुमार दीक्षित ने अपने संस्मरण सुनाते हुए परिषद को 51 हजार रुपयों की सहायता देने की भी बात की तो निखिल सक्सेना ने भी अपने संस्मरण सुनाये और 11 हजार रुपये की सहायता परिषद को देने की बात की।
इसके अलावा विधु त्रिपाठी, अभिषेक मिश्रा, संजय निगम अकेला, निखिल सक्सेना, दिनेश कुमार दीक्षित, मनीष गुप्ता, मनोज पुरवार, सी.एल. उपाध्याय ने अपने अपने संस्मरणों को सभी के समक्ष रखा। मंच पर बैठे अतिथि व सामने बैठे पुरातन छात्र कभी इन संस्मरणों पर हंसते तो कभी भावुक हो उठते।
कार्यक्रम में परिचय सत्र के दौरान प्रमोद जैन, डाॅ. रामेन्द्र गुप्ता, कृष्णा सिंह, अभिषेक सिंह, सचिन चतुर्वेदी, संजय सिंह एडवोकेट, बलराम सिंह कछवाह, अभिषेक शुक्ला चुन्नू, पंकज गुप्ता, आलोक सेठ, अमितेश अग्रवाल, शत्रुघ्न दुबे, प्रदुम तिवारी, अनुराग चंदेरिया, रोहित साहू, मुदित सिंह, प्रवीण चैरसिया, शिव कुमार सिंह, राकेश कुमार शुक्ला आदि ने अपना परिचय देते हुए आपसी संवाद किया।
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कार्यक्रम में संत कुमार गुप्ता सहित विद्यालय के आचार्य भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन पर एक स्वर में वन्दे मातरम गाया गया। तत्पश्चात स्वल्पाहार कर सभा विसर्जित हुई।