बृजेश प्रजापति के सपा मे आने से तिन्दवारी विधानसभा में उठ सकते है विरोध के स्वर

उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा के तिन्दवारी विधानसभा से भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति के पाला बदलकर सपा में जाने से यहां..

Jan 15, 2022 - 02:05
Jan 15, 2022 - 02:10
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बृजेश प्रजापति के सपा मे आने से तिन्दवारी विधानसभा में उठ सकते है विरोध के स्वर
बृजेश प्रजापति के सपा मे आने से तिन्दवारी विधानसभा में उठ सकते है..

उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा के तिन्दवारी विधानसभा से भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति के पाला बदलकर सपा में जाने से यहां सभी राजनीतिक दलों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं।माना जा रहा है कि बृजेश प्रजापति सपा में शामिल होने के बाद इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगें।

बृजेश के दल बदलने से अन्य दलों ने नए सिरे से प्रत्याशियों के चयन के लिए मंथन शुरू कर दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य समर्थक माने जा रहे है ब्रजेश प्रजापति को 2017 में स्वामी प्रसाद मौर्य की सिफारिश पर ही भाजपा से टिकट मिला था। उस समय मोदी लहर के चलते उन्हें 82,197 मतमिले थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के जगदीश प्रसाद को 37 हजार 407 मतों के अंतर से हराया था।

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उस समय सपा से गठबंधन के कारण यह सीट कांग्रेसियों कांग्रेस के खाते में गई थी जिसमें दलजीत सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़े और वह तीसरे स्थान पर थे। उन्हें 42,089 मत मिले थे। तिन्दवारी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विशंभर प्रसाद निषाद के कारण उनका गढ़ बन गई थी। यहां बहुतायत संख्या में निषाद समुदाय सपा का समर्थक माना जा रहा है। लेकिन बृजेश प्रजापति के सपा में आ जाने से अगर वह चुनाव लड़ते हैं तो निषाद समुदाय सपा की झोली से छिटक सकता है।

बृजेश प्रजापति विधायक रहते खनन माफिया और बांदा में ठेका हथियाने वाली बड़ी कंपनियों के विरोधी रहे हैं। अवैध खनन और ओवरलोडिंग को लेकर कई बार विवाद घिर चुके हैं। उन्होंने तत्कालीन खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह के साथ मारपीट भी की थी।इस आरोप में उनके खिलाफ एफ आई आर भी हुऐ थी। इतना ही नहीं अक्टूबर 2014 में बृजेश बृजेश प्रजापति ने अपनी ही सरकार के खिलाफ कई सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस सरकार में भ्रष्ट अफसरों का सिंडीकेट हावी है।

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बृजेश प्रजापति बगावती सुर के कारण भाजपा के नेता उनै पचा नहीं पा रहे थे। इधर कुछ दिनों से उन्होंने भाजपा के कार्यक्रमों से दूरी बना रखी थी। जिससे रिपोर्ट कार्ड के आधार पर उनका टिकट कटने की संभावना बन गई थी। अब जब उनके नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी तो उन्होंने भी भाजपा से किनारा कर लिया और सपा की ओर कदम बढ़ा दिए। उनके सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से भाजपा में टिकट के दावेदारों की गतिविधियां तेज हो गई है।

इस सीट पर अन्य दलों ने भी प्रत्याशियों के चयन के लिए नए सिरे से मंथन शुरू किया है।भाजपा से कांग्रेस के पूर्व विधायक दलजीत सिंह व भाजपा के जिला अध्यक्ष रामकेश निषाद द्वारा दावेदारी की जा रही है। इस बीच सपा से अशोक सिंह गौर जैसे कई नेता दावेदारी कर चुके हैं। अगर सपा बृजेश प्रजापति को चुनाव मैदान में उतारती है तो सपा से टिकट के दावेदारों में बगावत के सुर तेज हो सकते हैं।

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