कानपुर मण्डल सहित उत्तर भारत में अबकी बार पड़ेगी अधिक गर्मी

भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अलनीनो की स्थितियां अभी मौजूद हैं, जिसकी वजह से समुद्र की सतह के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है...

कानपुर मण्डल सहित उत्तर भारत में अबकी बार पड़ेगी अधिक गर्मी
सांकेतिक फ़ोटो - सोशल मीडिया

कानपुर। अलनीनो भारत में कम वर्षा और अधिक गर्मी का कारण बनता है। भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अलनीनो की स्थितियां अभी मौजूद हैं, जिसकी वजह से समुद्र की सतह के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मौसम विभाग का कहना है कि समुद्र के ऊपर सतह की गर्मी समुद्र के ऊपर वायु प्रवाह को प्रभावित करता है, चूंकि प्रशांत महासागर पृथ्वी के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर करता है, लिहाजा इसके तापमान में बदलाव और उसके बाद हवा के पैटर्न से कानपुर मण्डल सहित उत्तर भारत में अबकी बार अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है।

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चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने गुरुवार को बताया कि आईएमडी के पूर्वानुमान में कहा गया है कि पूर्व और उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों को छोड़कर भारत के ज्यादातर इलाकों में गर्मी ज्यादा रहेगी। अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा। इससे लोगों में गर्मी से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। कृषि उत्पादन प्रभावित हो सकता है, पानी की कमी हो सकती है। ऊर्जा की मांग बढ़ सकती है और पारिस्थितिकी तंत्र और वायु गुणवत्ता प्रभावित होगी।

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इस तरह बनती है गर्मी की लहर

उन्होंने बताया कि असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि को हीट वेव कहा जाता है। यदि मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो आईएमडी लू यानि हीट वेब्स की घोषणा करता है, जिसमें सामान्य अधिकतम तापमान से लगभग 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस का अंतर होता है। अगर वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो आईएमडी लू की घोषणा भी कर सकता है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो ‘गंभीर गर्मी की लहर’ भी घोषित कर सकता है। लू में हवा का तापमान मानव शरीर के लिए घातक हो जाता है। भारत में गर्मी की लहरें आमतौर पर मार्च और जून के बीच दर्ज की जाती हैं और मई में चरम पर होती हैं। अल नीनो मौसम की स्थिति भी सामान्य से अधिक तापमान में योगदान करती है, जिससे गर्मी की लहरों में वृद्धि होती है।

हिन्दुस्थान समाचार

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