भाजपा की कथनी और करनी का सच उजागर, कांग्रेस के दागी को पार्टी में किया शामिल
पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बयान दिया था कि हमारी पार्टी में किसी भी प्रकार के दागियों को जगह नहीं है..
पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बयान दिया था कि हमारी पार्टी में किसी भी प्रकार के दागियों को जगह नहीं है लेकिन कल तिंदवारी से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए पूर्व विधायक दलजीत सिंह ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सामने भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली।
आपको बता दें कि तिंदवारी से पूर्व विधायक दलजीत सिंह के ऊपर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला लगातार सुर्खियों में है जिसका संज्ञान लेकर पिछले दिनों इनकम टैक्स विभाग द्वारा दिलजीत सिंह के आवास व कार्यालय में छापा मारा था जहां 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति सोना चांदी वर्क कंपनी तथा जमीनों से संबंधित अभिलेख इकट्ठा किए थे।
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यह चर्चा है कि पूर्व विधायक का सीबीआई द्वारा खनन मामले में भी इनका नाम है। लेकिन आज तक सीबीआई की तरफ से कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की गई जिसको लेकर अनेक कयास लगाए जा रहे हैं । उनके पार्टी ज्वाइन करने के बाद एक अलग सा माहौल निकल कर सामने आया है। क्योंकि आपको बता दें दलजीत सिंह कांग्रेस से विधायक थे पर सत्ता के साथ सांठ गांठ कर मलाई चाटने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।
विधायक रहते जीरो से हीरो बनने का सिलसिला बहुत तेजी से चला, इसी के चलते पिछले दिनों उनके घर ईडी का छापा पड़ा जहां करोड़ों की हेरा फेरी की बात सामने आई। इसके अलावा यह भी चर्चा है कि उनके ऊपर दो हत्या के मुकदमे भी दर्ज हैं व सीबीआई जांच भी चल रही है। वही इस बात को लेकर भी चर्चा बहुत तेज है कि यदि बृजेश प्रजापति दलबदल कर दूसरी पार्टी में जाते हैं तो वह दल बदलू कहलाए।
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वहीं दूसरी ओर दलजीत सिंह के भाजपा ज्वाइन करने के बाद यह प्रश्न उठने लगा कि क्या दलजीत सिंह उस कैटेगरी में नहीं आते हैं जिसमें दलबदलू को रखा जाए। यह भी जानना बहुत आवश्यक है कि पिछले दिनों दलजीत सिंह के आवास में व कई ठिकानों में आयकर विभाग की छापेमारी के बाद जब पत्रकारों ने उनसे यह पूछा कि इस प्रकार की छापेमारी का क्या अर्थ निकाला जाए तब उन्होंने सारी बातों को पहले तो छुपाया व किसी भी प्रकार से बातें लीक ना हो व यह मुख्य रूप से हुई छापेमारी आम जनमानस को ना पता चले इस पर प्रयासरत रहे।
परंतु जब बात नहीं बनी तो पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत हुए वहां पत्रकारों द्वारा चुनाव लड़ने पर भी बात पूछी गई तब उन्होंने मात्र भारतीय जनता पार्टी का नाम नहीं लिया उन्होंने अपने जवाब में कहा कि मुझे चुनाव तो लड़ना है मैं भारतीय जनता पार्टी से लड़ूं या मैं समाजवादी पार्टी से लड़ूं ।मैं दोनों जगह प्रयासरत हूं यह बात सुनकर क्या भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता निश्चिंत हो सकता है कि वह एक स्थाई नेतृत्व चुनने जा रहा है ।पिछले दिनों समाजवादी पार्टी की पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को जन्मदिन की बधाई देने की पोस्ट काफी वायरल हुई।
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निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा प्रश्न निकल कर आ रहा है कि, क्या भारतीय जनता पार्टी के पास इतने सालों की मेहनत के बाद व प्रदेश नेतृत्व तथा केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा दंभ भरने वाले बयानों के साथ कि हमारे पास कार्यकर्ताओं का अंबार है, उसके बावजूद दूसरी पार्टी से आयातित नेताओं को संगठन द्वारा पार्टी ज्वाइन करने के तुरंत बाद टिकट देकर प्रत्याशी के रूप में सालों पुराने कार्यकर्ताओं के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाता है और सत्ता की मलाई चाटने में माहिर ऐसे नेता लगातार प्रदेश की व बांदा के मुख्य रूप से खनन उद्योग को दोहन कर लगातार अपने धनबल वैभव को बढ़ाने व कार्यकर्ताओं का दोहन मात्र करने के लिए आते हैं।
क्या यह संभावना से भी इनकार किया जा सकता है कि यदि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में नहीं आई और दलबदलू के सहारे किसी सरकार को बनाने की आवश्यकता पड़ी तो क्या ऐसे नेता यदि चुनाव जीत जाते हैं तो पार्टी छोड़ भागने वाले नेताओं में से प्रथम पंक्ति के नेता नहीं होंगे? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न निकल कर आ रहा है कि क्या भाजपा में आने के बाद प्रत्येक दल बदलू गंगा में नहाने जैसा तर जाता है? क्या निश्चित तौर पर यह एक बहुत बड़ा प्रश्न नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी के इतने सालों के संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण विधानसभा जहां से एक मुख्यमंत्री व एक प्रधानमंत्री चुना गया था उस स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के पास एक ऐसा जिताऊ प्रत्याशी नहीं है जो कि अपनी पार्टी को विजय दिला सके? या यह मान लिया जाए कि संगठन ने अपने मूल कार्यकर्ताओं पर विश्वास करना छोड़ दिया है और आयातित नेताओं पर ज्यादा विश्वास कर रहा है।
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