कृषि विश्वविद्यालय के रीजनल फील्ड जीन बैंक का राज्यपाल उद्घाटन करेंगी
विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह 29 जनवरी 2024 को होना है...
बांदा, विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह 29 जनवरी 2024 को होना है। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति व प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल उस दिन विश्वविद्यालय परिसर के अन्दर निर्मित रीजनल फील्ड जीन बैंक का उदघाटन अपने कर कमलो से करेंगी। यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा दीक्षांत समारोह से सम्बन्धित तैयारियो की समीक्षा बैठक के दौरान दी।
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कुलपति, प्रो. (डॉ.) नरेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में बॉदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में रीजनल फील्ड जीन बैंक की स्थापना के लिये पहल की गयी है। कुलपति ने विशेषकर बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र मे स्थानीय वृक्षो एवं वानिकी महत्व के पौधो के संरक्षण के लिये यह जीन बैंक की स्थापना आवश्यक समझी, जिसे विश्व विद्यालय परिसर मे वानिकी महाविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है। फील्ड जीन बैंक के अंतर्गत वृक्ष एवं काष्ठीय पौधों की जैव विविधता व संसाधनों का संरक्षण करना है। रीजनल फील्ड जीन बैंक का मुख्य उददेश्य विंध्य क्षेत्र के वृक्षों के प्रजातियों व संसाधनों को संरक्षित करना है।
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रीजनल फील्ड जीन बैंक विश्वविद्यालय परिसर के कुल क्षेत्रफल 151 एकड़ मे तैयार किया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में लगभग 35 एकड़ का क्षेत्रफल विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों को जिनमें सफेद चन्दन महुआ फलाश, लाल चन्दन बॉस, जामुन, बेल, अमरूद, बेर व आम मुख्य है, के लिए तैयार किया गया है। रीजनल फील्ड जीन बैंक भविष्य में छात्रों के साथ साथ आमजनों की पौधों के बारे में जानकारी करने व जैव विविधता को संरक्षित करने का कार्य भी करेगा। साथ ही यह छात्रों की शोध का स्रोत भी बनेगा। वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डॉ संजीव कुमार ने बताया की फील्ड जीन बैंक के अंतर्गत एक तरूवर वाटिका एवं बम्बूसेटप की स्थापना की गयी है। तरूवर वाटिका वह क्षेत्र है जहॉ पर विभिन्न प्रजाति के वृक्षों का संग्रह किया जाता है। वर्तमान में यहां पर 84 प्रजाति के वृक्षों का रोपड़ किया गया है, जिसको निरन्तर बढ़ाया जा रहा है। बब्बूसेटम में बॉस की विभिन्न प्रजातियों का संरक्षण किया गया है। विश्वविद्यालय परिसर मे बने इस जीन बैंक मे वर्तमान में 22 बॉस प्रजातियों का रोपण किया गया है। यह दोनों प्रक्षेत्र भविष्य में छात्रों की विभिन्न प्रजातियों के प्रति शैक्षणिक ज्ञान और रुचि को बढ़ाने के लिये उपयोगी होगे।
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