बुंदेलखंड में अब भगवा अनार की होगी खेती, उपज बढ़ाने को नाबार्ड मदद करेगा
बुंदेलखंड की सूखी जमीन में रसीला भगवा अनार पैदा होगा हालांकि इसके दाने का रंग लाल होगा। उद्याग विभाग ने गुरसराय ब्लॉक में..
झांसी,
बुंदेलखंड की सूखी जमीन में रसीला भगवा अनार पैदा होगा हालांकि इसके दाने का रंग लाल होगा। उद्याग विभाग ने गुरसराय ब्लॉक में करीब 50 हेक्टेयर जमीन इसके लिए चिन्हित की है। रमौरा गांव में दस एकड़ पौधरोपण से इसकी शुरूआत हो गई है। इसकी उपज बढ़ाने के लिए नाबार्ड भी 25 लाख की मदद करेगा। उद्यान विभाग भी ड्रिप की सुविधा मुहैया कराएगा।
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किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत फसलों के अलावा फलों एवं औद्योनिक फसलों पर खासा जोर दिया जा रहा है। इसमें बुंदेलखंड पर खास तौर से फोकस है। उद्यान अधिकारियों के मुताबिक कंकरीली, बंजर जमीन भी अनार के लिए काफी मुफीद है। नासिक एवं मालवा में पैदा होने वाले उम्दा अनार यहां पैदा हो सकते हैं। खास तौर से भगवा, सुपर भगवा एवं मृदृला यहां के वातावरण के लिहाज से बेहतर है। इससे किसानों को मोटी कमाई हो सकेगी।
अनार उत्पादन के लिए सबसे पहले गुरसराय ब्लॉक को चुना गया है। ग्राम रमौरा से इसकी शुरूआत की गई है। यहां दस एकड़ में अनार लगाया गया है। उद्यान अफसरों के मुताबिक यह बेकार पड़ी भूमि में भी आसानी से हो जाता है। प्रति एकड़ करीब 5 लाख रुपये की लागत से इसकी खेती हो सकती है। तीसरे साल से करीब 80 कुंतल फल का उत्पादन होने लगता है। प्रत्येक पौधे से 35-40 किलो तक फल मिलता है। इससे 16.60 लाख रुपये की आमदानी हो सकेगी। नाबार्ड भी अनार किसानों के लिए 25 लाख स्वीकृत करेगा। उपनिदेशक, उद्यान विनय कुमार यादव ने बताया कि बुंदेलखंड की जमीन अनार की खेती के लिए उपयोगी है। इसको देखते हुए यहां अनार उत्पादन को बढ़ावा देने की कवायद शुरू की गई है।
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