सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय अब NABH से मान्यता प्राप्त

विश्वभर में अपनी उत्कृष्ट नेत्र चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए विख्यात एवं संत श्री रणछोड़दास जी महाराज द्वारा संस्थापित..

सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय अब NABH से मान्यता प्राप्त
नेत्र चिकित्सालय

विश्वभर में अपनी उत्कृष्ट नेत्र चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए विख्यात एवं संत श्री रणछोड़दास जी महाराज द्वारा संस्थापित जानकीकुण्ड चित्रकूट में स्थित संस्थान सदगुरू नेत्र चिकित्सालय, श्री सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट अब नेत्र सेवाओं के लिए NABH मान्यता प्राप्त चिकित्सालय बन गया है। 

उत्तम गुणवत्ता युक्त सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर के इस प्रमाणीकरण के लिए चिकित्सालय को बहुत से कठिन पैमानों और मापदंडों पर खरा उतरना पड़ता है। यह एक सुदीर्घकालीन प्रणाली है जिसके द्वारा यह निर्धारित होता है कि, कोई चिकित्सालय NABH बोर्ड द्वारा पूर्व निर्धारित दिशानिर्देश एवं स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल के तहत कितनी कार्यदक्षता रखता है।

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साथ ही वहां आने वाले रोगियों को दी जानी वाली क्लीनिकल एवं नॉन क्लिनिकल सुविधाओं के साथ उनकी सुरक्षा पर विशेष बल दिया जाता है, जिसके बाद अनेकों मॉक ड्रिल और प्रत्यक्ष परीक्षण एवं टीम एनालिसिस के साथ इंफेक्शन रेट, ओपीडी,आईपीडी, मेडिकल रिकार्ड विभाग तथा ऑपरेशन थियेटर में गहन निरीक्षण के उपरान्त ही चिकित्सालय की गुणवत्ता की श्रेणी का आंकलन कर मान्यता प्रदान की जाती है।

निरीक्षण के लिए बोर्ड द्वारा चिकित्सकीय क्षेत्र के राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की कमेटी गठित की जाती है, जिसकी अनुशंसा के बाद ही चिकित्सालय को मान्यता प्रदान की जाती है।उल्लेखनीय है कि, सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय पूर्व से ही उत्तम नेत्र सेवाओं के लिए जाना जाता था एवं इससे पूर्व भी आईएसओ मान्यता प्राप्त चिकित्सालय के रूप में कार्यरत था।

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चिकित्सालय के निदेशक डॉ बी के जैन एवं ट्रस्टी डॉ इलेश जैन ने बतलाया कि परम पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से हमारा संस्थान सदैव ही नेत्र रोगियों को गुणवत्ता युक्त चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है तथा NABH द्वारा मान्यता प्राप्त हो जाने से हमारा दायित्व इसे बरकरार रखने के लिए और बढ़ गया है।

हमें आशा है कि आने वाले समय में और अधिक नेत्र रोगी हमारी गुणवत्ता और सेवाओं से लाभान्वित हो सकेंगे तथा अंधत्व निवारण के क्षेत्र में हम अपना योगदान देकर मानव सेवा के लक्ष्य पर अग्रसर हो सकेंगे।

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