श्री गिरिराज में राधेश्याम तो कामतानाथ में विराजते है सीताराम : नवलेश दीक्षित

राष्ट्रीय रामायण मेला प्रेक्षागृह में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पाचवें दिन आचार्य नवलेश दीक्षित जी महाराज ने कहा...

श्री गिरिराज में राधेश्याम तो कामतानाथ में विराजते है सीताराम : नवलेश दीक्षित

कहा कि श्री गोवर्धन हमारे कामतानाथ के छोटे भाई द्रोणागिरि के आत्मज है 

श्रीमद्भागवत कथा का पांचवां दिन

चित्रकूट। राष्ट्रीय रामायण मेला प्रेक्षागृह में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पाचवें दिन आचार्य नवलेश दीक्षित जी महाराज ने कहा कि ईश्वर की लीला बहुत विचित्र होती है और जीव को तन्मयता का दर्शन कराती है। जो कथा श्री कृष्ण की गोद प्रदान कर दे, उसी का नाम श्रीमद्भागवत है। हमारे जीवन के सूक्ष्म से सूक्ष्म दोषों का बोध कराने वाली परमहंसों की संहिता का नाम ही भागवत है। इस ग्रंथ में सभी को समान अधिकारी है। सम्प्रदाय रहित भक्ति, ज्ञान, वैराग्य के समन्वय की अविरल धारा इस कथा में रहती है।

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चित्रकूट धाम भागवत पीठ के भागवत रत्न आचार्य नवलेश दीक्षित ने भगवान श्री कृष्ण की सुंदर बाल लीला का आध्यात्मिक दर्शन कराते हुए कहा कि मिट्टी खाकर पृथ्वी तत्व का शोधन, कालिया नाग को नथ करके दूषित जल तत्व को शुद्ध करने के बाद भगवान ने बाद में मां कालिन्दी को अपनी पटरानी स्वीकार किया। साथ ही गायों की सेवा करके गोपाल नाम को सार्थक किया। कई जन्मों और युगों के वरदानों को सिद्ध करने के लिए द्वापर के अंत में लाल पुरुषोत्तम के स्वरूप विग्रह में श्री कृष्ण का अवतार होता है। कथा के अंत में उन्होंने गिरिराज गोवर्धन का चरित्र चित्रण करते हुए बताया कि यह श्री गोवर्धन हमारे कामतानाथ के छोटे भाई द्रोणागिरि के आत्मज है। जीवन में एक बार दोनों पर्वतों की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। इससे सुख, समृद्धि, अन्न और धन की प्राप्ति होती है। श्री गिरिराज में राधेश्याम तो कामतानाथ में सीताराम विराजते है।

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भागवत रत्न ने कथा में मौजूद लोगों से अपील की कि सभी लोग प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्द्धन करें। पर्वत, नदियां, झरने और वृक्षों को बचाएं। दीपावली पर आने वाले श्रद्धालु परिक्रमा मार्ग को और मंदाकिनी के जल को स्वच्छ रखें। प्रकृति संरक्षण, संवर्द्धन ही सच्ची अराधना एवं पूजा है।

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