केंद्र सरकार की गलती से बाँदा को नहीं मिल पाया पीएम अवार्ड
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना में अगर स्पष्ट नियमावली बनाई गई होती तो बांदा..
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना में अगर स्पष्ट नियमावली बनाई गई होती तो बांदा भी इस पुरस्कार का हकदार होता।अस्पष्ट नियमावली के कारण ही बांदा को इस पुरस्कार से वंचित होना पड़ा है।
इस पुरस्कार के चयन के लिए जो नियमावली बनाई गई थी उसमें यह स्पष्ट नहीं था कि आवेदन कर्ता कौन होना चाहिए, ऐसे में उन अधिकारियों में असंतोष व्याप्त है जिनके उत्कृष्ट कार्य आवेदन प्रक्रिया में आने से वंचित रह गए। जिन्हें इस नियम के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। फिलहाल चयन प्रक्रिया में 15 लोक प्रशासको को चयनित किया गया। जिन्हें 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
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बताते चलें कि अप्रैल 2018 से मार्च 2020 की अवधि में जिलों व अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा संपन्न उत्कृष्ट कार्यो के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अगस्त में पूरी हुई।जिसके बाद चयन प्रक्रिया का चार चरणों में दौर चला ,जिसमें जिसमें अस्पष्ट नियम के चलते बांदा को उपरोक्त प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा। बताया जाता है कि इस योजना की आवेदन विषयक नियमावली में अस्पष्टता के कारण बांदा को पुरस्कार से वंचित होना पड़ा।
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इस नियमावली में चिन्हित अवधि में संपन्न विशिष्ट कार्य के लिए आवेदन कर्ता अधिकारी कौन होगा ? इस बारे मे जिलों के लिए लिखा गया है कि आवेदन प्रक्रिया को करना है किंतु इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस जिला अधिकारी को उसे जिसने उक्त अवधि में जिले में वह विशिष्ट कार्य क्रियान्वित किया या फिर उसे जो वर्तमान में वहां कार्यरत है। यह बिंदु स्पष्ट न होने के कारण ही बांदा को प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा।हालांकि बांदा की ओर से किए गए आवेदन में चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंच जाने के बाद ही आवेदन को निरस्त हुआ।
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सर्वविदित है कि अप्रैल 2018 से मार्च 2020 की अवधि में बांदा में हीरालाल जिलाधिकारी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जनपद में जल संरक्षण के लिए कई कार्य किए साथ ही लोकसभा चुनाव में 90 प्लस अभियान सुर्खियों में रहा, उनके परिश्रम से ही मतदान का प्रतिशत भी बढ़ गया था।