कोविड-19 के 5 साल बाद चीन में नया संकट : HMPV वायरस का कहर
चीन में कोविड-19 के पांच साल बाद एक बार फिर से एक नए वायरस ने दहशत फैला दी है। इस नए वायरस का नाम ह्यूमन...
बीजिंग। चीन में कोविड-19 के पांच साल बाद एक बार फिर से एक नए वायरस ने दहशत फैला दी है। इस नए वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) है। यह एक RNA वायरस है, जिसके लक्षण काफी हद तक कोरोना वायरस जैसे ही हैं।
परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस अतुल गोयल की अध्यक्षता में पिछले कुछ सप्ताह में चीन में सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की रिपोर्ट के मद्देनजर स्वास्थ्य एवं संयुक्त निगरानी समूह (जेएमजी) की शनिवार को बैठक हुई। बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), आपदा प्रबंधन (डीएम) सेल, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), आपातकालीन चिकित्सा राहत (ईएमआर) प्रभाग और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली सहित अस्पतालों के विशेषज्ञों ने भाग लिया
लक्षण और खतरा
HMPV वायरस से संक्रमित मरीजों में सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस छोटे बच्चों पर अधिक घातक साबित हो रहा है। खासकर दो साल से कम उम्र के बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
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अस्पतालों में भीड़ और अफरा-तफरी
वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते चीन के अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखी जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है और स्थिति चिंताजनक होती जा रही है।
HMPV: कोविड-19 जैसा संकट?
विशेषज्ञों के अनुसार, HMPV वायरस का संक्रमण कोविड-19 जितना तीव्र नहीं है, लेकिन इसके प्रसार की गति और बच्चों पर इसके प्रभाव ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रशासन को सतर्क कर दिया है। यह वायरस इंसानों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और गंभीर मामलों में यह निमोनिया और ब्रोंकाइटिस का कारण बन सकता है।
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सावधानी और सतर्कता जरूरी
HMPV के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से मास्क पहनने, भीड़भाड़ से बचने और सफाई का विशेष ध्यान रखने की अपील की है। विशेषज्ञों ने कहा है कि वायरस से बचने के लिए बच्चों की सेहत पर खास ध्यान देना आवश्यक है।
इस नए वायरस ने एक बार फिर वैश्विक स्वास्थ्य संकट की आशंका को बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य संगठनों ने इसे गंभीरता से लेते हुए शोध और उपचार पर काम शुरू कर दिया है।