कोविड वैक्सीन, रक्तदान और माहवारी के वायरल मैसेज का सच यहां जानिये
जब से केन्द्र की मोदी सरकार ने ये घोषणा की है कि आगामी 1 मई से 18 वर्ष से ऊपर के लोग भी कोविड वैक्सीन लगवा सकते हैं...
जब से केन्द्र की मोदी सरकार ने ये घोषणा की है कि आगामी 1 मई से 18 वर्ष से ऊपर के लोग भी कोविड वैक्सीन लगवा सकते हैं, तब से कुछ मैसेज भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं -
(वायरल मैसेज)
"प्रिये बंधु, जैसे कि आपको ज्ञात होगा कि आगामी 1 मई से कोविड वैक्सीन लगवाने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होने जा रही है। 1 मई से 18 वर्ष की अधिक आयु के सभी व्यक्ति कोविड से बचाव की वैक्सीन लगाने के अधिकारी होंगे जो कि अभी तक केंद्र सरकार के निर्देशानुसार 45 वर्ष थी।
18 वर्ष की आयु के पश्चात कोविड वैक्सीन लगना निश्चित रूप से कोरोना वाइरस से लड़ाई के विरुद्ध हमारे देश के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके साथ एक समस्या भी आने का अंदेशा है जिसे हम सब मिलकर टाल सकते हैं।
हमारे देश के सर्वाधिक रक्तदाता 18 से 50 वर्ष की आयु के ही हैं। कोविड वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद दूसरी डोज का नंबर 42 से 56 दिन बाद आता है और दूसरी डोज लगने के 28 दिन बाद ही आप रक्तदान कर सकते हैं। इसका अर्थ ये हुआ कि पहली डोज लगने के बाद लगभग 70 दिन आप रक्तदान नही कर सकेंगे।
अगर सभी नियमित रक्तदाता 70 दिन रक्तदान नही कर सके तो बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी, ब्लड बैंक में ब्लड खत्म हो जाएगा।
आपसे विनम्र निवेदन है कि ऐसी विपदा को टालने के लिए अपनी कोविड वैक्सीन के 2-3 दिन पूर्व रक्तदान अवश्य करें जिससे कि रक्त की कमी को हम काफी हद तक दूर कर पाएंगे। आप और हम सभी मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे और निश्चित रूप से कामयाब होंगे। कोविड वैक्सीन की पहली डोज से पहले रक्तदान का प्रण लें।"
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उक्त ऐसे कई प्रकार के मैसेज सोशल मीडिया में फैलाये जा रहे हैं। लेकिन जब हमने इसकी सत्यता की जांच के लिए कैलाश हाॅस्पिटल, नोएडा के प्रसिद्ध रक्तरोग विशेषज्ञ डाॅ. अमित उपाध्याय से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी बात से इंकार करते हुए कहा,
“ऐसा कुछ नहीं है। ये जो भी मैसेज वायरल हो रहे हैं, उनका सत्यता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। अर्थात इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी ने कोविड वैक्सीन लगवाई है तो वो रक्तदान नहीं कर सकता। यदि वो पूर्ण स्वस्थ है तो वो किसी भी समय रक्तदान करके किसी का जीवन बचा सकता है।”
लेकिन इसके साथ ही डाॅ. अमित उपाध्याय ये भी कहते हैं,
“अमेरिकन गाइडलाइन के अनुसार वैक्सीन लेने के बाद कभी भी रक्तदान किया जा सकता है, लेकिन भारत में वैक्सीन लेने के 4 हफ्ते बाद ही रक्तदान की इजाजत है।
दूसरी ओर देखें तो ऐसी सम्भावना नहीं है कि 18 वर्ष से ऊपर के सारे लोग एक साथ वैक्सीन लगवायेंगे, जिस कारण रक्त की कमी आ जायेगी। हर व्यक्ति अपनी सुविधानुसार अलग-अलग तारीखों में वैक्सीन लगवायेगा। इसलिए इससे कोई समस्या नहीं उत्पन्न होगी।”
इसी प्रकार, महिलाओं की माहवारी से सम्बन्धित एक मैसेज भी तेजी से वायरल हो रहा है। इस मैसेज में कहा जा रहा है कि माहवारी के 5 दिन पहले या बाद तक महिलायें/लड़कियां वैक्सीन न लगवायें। क्योंकि पीरियड के दौरान इम्युनिटी काफी कम होती है। और वैक्सीन की डोज लगवाते ही इम्युनिटी और तेजी से कम होगी जिससे अटैक का रिस्क काफी हो जाता है। इस प्रकार का मैसेज काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
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(वायरल मैसेज)
इस सम्बन्ध में जब हमने अक्षत मैटरनिटी होम, बांदा की स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. प्रज्ञा प्रकाश से बात की तो उन्होंने कहा,
“इम्युनिटी कम होने की बात बिल्कुल भी सही नहीं है, पीरियड और कोविड वैक्सीन का कोई रिलेशन नहीं है। साधारणतया 18 वर्ष से ऊपर की कोई भी महिला 1 मई से जब चाहे, तब वैक्सीन लगवा सकती है। लेकिन जो महिलायें गर्भवती हैं या बच्चे को स्तनपान कराती हैं, वो महिलायें वैक्सीन नहीं लगवा सकती हैं। इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बाकायदा गाइडलाइन भी जारी की हुई है।”
कोरोना काल में हमें सोशल मीडिया पर चल रहे हर प्रकार के मैसेज पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिये। भरोसेमंद सूचना स्रोत से जब खबर मिले तभी उस पर विश्वास करें। एक सर्वे के मुताबिक इस समय सोशल मीडिया में लगभग 82 फीसदी खबरें फेक हैं। और ऐसी खबरें खूब वायरल होती हैं। ज्यादातर लोग ऐसी खबरों की सत्यता जांचे बिना उसे फाॅरवर्ड करते रहते हैं।
इसीलिए बुन्देलखण्ड न्यूज आपसे आग्रह करता है, कि सोशल मीडिया पर चलने वाली हर सूचना या खबर की सत्यता जांचने के उपरान्त ही कोई निर्णय लें। यदि आपको उस खबर पर विश्वास नहीं हो रहा तो सोशल मीडिया पर उसे रिपोर्ट/फीडबैक देकर भी रोका जा सकता है।
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