कश्मीरियों ने हमीरपुर में बनवाया बागेश्वर शिवमंदिर
हमीरपुर जिले के एक गांव में बागेश्वर मंदिर में सावन मास की धूम मची हुई है। इस मंदिर का इतिहास...
सैकड़ों साल पुराना है मंदिर का इतिहास, सावन मास की मची धूम
हमीरपुर जिले के एक गांव में बागेश्वर मंदिर में सावन मास की धूम मची हुई है। इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है जहां कश्मीर का शिवलिंग स्थापित है। इस शिवलिंग के बारे में कई रोचक कहानी है। ये मंदिर कसौधन समाज के लिए एक बड़ा तीर्थ स्थल भी माना जाता है।
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हमीरपुर जिले के मौदहा तहसील से करीब 13 किमी दूर सायर गांव में बागेश्वर मंदिर बना स्थित है। जिसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां के अम्बिका प्रसाद ने बताया कि इस मंदिर में स्थापित शिव लिंग बहुत ही खास तरह का है जिसे देखने भर से मन को बड़ी शांति मिलती है। बताया कि मंदिर का अद्भुत शिव लिंग देखकर पहली बार आए श्रद्धालु भी हैरानी में पड़ जाते हैं। बताया कि बरगद के पेड़ की डाली और पेड़ की जड़ों के बीच एक मंदिर का रूप ये स्थल लिए है। यहां भगवान शिव का विशेष शिव लिंग स्थापित है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह एक ऐसा अद्भुत शिवमंदिर है जहां समाज के ही मंदिर की देखरेख करते है। समाज के अलावा दूरदराज से शिव भक्त बड़ी तादाद में मंदिर में माथा टेकने आते है।
खासकर महाशिवरात्रि पर महाराष्ट्र, कश्मीर, राजस्थान समेत अन्य महानगरों से कसौंधन समाज के लोग बागेश्वर मंदिर में आकर अनुष्ठान करते है। इस बार सावन मास में भी कसौंधन समाज के साथ ही आसपास के तमाम इलाकों से भी लोग शिवमंदिर में आकर विशेष प्रकार की पूजा अर्चना कर रहे है। लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि बागेश्वर मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां स्थापित शिव लिंग बड़ा ही अद्भुत है। ये पूरे उत्तर भारत में इस तरह का शिव लिंग देखने को नहीं मिलेगा।
कश्मीर से प्लायन करने वाले बैलगाडिय़ों से लाए थे शिव लिंग
गांव में स्थित बागेश्वर शिवमंदिर को लेकर समाजसेवी बुजुर्ग देवी प्रसाद समेत तमाम बुजुर्गों ने बताया कि सायर गांव में ये मंदिर तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। सैकड़ों साल पहले कसौंधन समाज की बिरादरी को कश्मीर से पलायन करना पड़ा था। समाज का एक बड़ा समूह उसे जमाने में कश्मीर से बैल गाडिय़ों से होते हुए यहां आए थे। बैलगाड़ी से शिव लिंग को भी लाया गया था। बैलगाडिय़ों में सवार कसौधन समाज के जत्थे को रात होने पर सायर गांव में रुकना पड़ा था। तब शिवलिंग को जमीन पर रख कर सो गए। अगले दिन ही शिव लिंग को उठाने की कोशिश की तो नहीं उठा।
जमीन पर रखे शिव लिंग के न उठने पर बनवाया गया था मंदिर
गांव के तमाम बुजुर्गों ने बताया कि जिस स्थान पर शिव लिंग रखा गया था वह अगले दिन उठाने पर नहीं उठा था। तब यहां पर शिव लिंग को स्थापित कर एक भव्य मंदिर का निर्माण समाज के लोगों ने किया था। अम्बिका प्रसाद ने मंदिर व तालाब के सुन्दरीकरण कराने को कई बार प्रयास किए थे। बाद में पूर्व मंत्री बादशाह सिंह ने मंदिर में माथा टेकने के बाद मंदिर तक जाने के लिए पक्की सड़क बनवाई थी। अजीत कोरी ने टीनशेड बनवाया था।
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