छात्र राजनीति से समाज सेवा तक, अमिट छाप गए प्रदीप निगम लाला

समाज और छात्र राजनीति में गहरी छाप छोड़ने वाले शहर के जिला परिषद चौराहा के पास रहने वाले प्रदीप निगम लाला ने...

छात्र राजनीति से समाज सेवा तक, अमिट छाप गए प्रदीप निगम लाला

बांदा, समाज और छात्र राजनीति में गहरी छाप छोड़ने वाले शहर के जिला परिषद चौराहा के पास रहने वाले प्रदीप निगम लाला ने मंगलवार को अपने आवास में हृदय गति रुक जाने से अंतिम सांस ली। प्रदीप निगम ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की और जीवनभर समाज सेवा व राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रहे।

27 नवंबर 1959 में जन्मे प्रदीप निगम लाला ने पंडित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय से छात्र संघ अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। इसके लिए उन्होंने रजिस्ट्री विभाग की नौकरी छोड़ दी। छात्र राजनीति में उनके संघर्षों और योगदान को लेकर छात्रों में वे हमेशा लोकप्रिय रहे। उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और पुलिस की लाठियां तक खाईं, लेकिन छात्रों की समस्याओं को हल करने के लिए वे अडिग रहे।

राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस से की और कांग्रेस छात्र संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। बाद में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ज्वाइन की और संगठन में महासचिव के रूप में सक्रिय रहे। बसपा से टिकट न मिलने पर वह निर्दलीय ही बांदा नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े, जिसमें वे तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा और लंबे समय तक पार्टी के साथ जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने एलएलबी की डिग्री हासिल की और  वकालत भी करते रहे।

प्रदीप निगम समाज सेवा के लिए भी समर्पित रहे। वे कायस्थ सभा के अध्यक्ष रहे और मुक्तिधाम खाईपार का नेतृत्व किया। गरीबों की मदद, कन्याओं के विवाह में सहयोग, और समाज में जागरूकता फैलाने के उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। उनके जीवन का मूल उद्देश्य समाज के जरूरतमंदों और गरीबों की सहायता करना था।

मंगलवार को हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। वे सात भाइयों में तीसरे नंबर पर थे और अपने पीछे दो पुत्रों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए। उनके निधन से छात्रों, अधिवक्ताओं, और स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं में गहरा शोक व्याप्त है।

बुंदेलखंड टूरिज्म के प्रमुख श्याम जी निगम ने कहा कि प्रदीप निगम की समाज और राजनीति में की गई सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता। उनका जीवन प्रेरणादायक था और उनकी यादें समाज के हर वर्ग के दिलों में जीवित रहेंगी।

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