जालौन जिले का चुनावी हाल

जिले में विधानसभा चुनाव का मतदान 20 फरवरी को होना है। सभी प्रत्याशी और राजनैतिक दल राजनीति की शतरंजी विसाद पर..

जालौन जिले का चुनावी हाल

अनिल शर्मा (Anil Sharma)

  1. माधौगढ और कालपी में साईकिल और हाथी के बीच तथा उरई सीट में कमल और साईकिल के बीच मुख्य मुकाबला
  2. कालपी में पंजा और खाने से भरी थाली जो प्रत्याशी चौरासी के ज्यादा वोट ले जायेगा वह त्रिकोणात्मक मुकाबले में आ जायेगा। उरई सुरक्षित सीट में पंजा चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने में जुटा
  3. बसपा की तरफ जिले में अल्पसंख्यकों का रूझान कम होने से प्रत्याशी मायूस, उरई की बसपा की झांसी मण्डल की रैली में बसपा सुप्रीमों मायावती द्वारा झांसी मण्डल के 9 में से किसी प्रत्याशी का नाम ना लेने से प्रत्याशी और उनके समर्थक मायूस

जिले में विधानसभा चुनाव का मतदान 20 फरवरी को होना है। सभी प्रत्याशी और राजनैतिक दल राजनीति की शतरंजी विसाद पर अपनी-अपनी जातीय गोटे बिछा चुके है। अब जब मतदान को सिर्फ 4 दिन बचे है तो सभी दलों का चुनाव प्रचार पीक पर पहुच चुका है। जो चुनावी परिदृश्य है उसमें माधौगढ विधानसभा में बसपा के प्रत्याशी शीतल कुशवाहा और सपा के प्रत्याशी राघवेन्द्र प्रताप सिंह के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला होता नजर आ रहा है।

शीतल कुशवाहा के पास जाति का आधार वोट लगभग 35 से 40 हजार है जबकि दलित समाज यानि बसपा की पार्टी का आधार वोट दलित समाज लगभग 1 लाख से अधिक है जो उन्हें चुनाव में मजबूती प्रदान करता है लेकिन इस बार पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यकों का झुकाव सपा की तरफ है जिसके चलते बसपा के लिए यह झटके जैसा है। अल्पसंख्यकों मतदाताओं की संख्या लगभग 25 हजार है जिसके सपा की ओर मुड जाने से सपा का प्रत्याशी मजबूत हो रहा है।

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सपा प्रत्याशी राघवेन्द्र प्रताप सिंह के जाति यानि ठाकुर बिरादरी के मतदाताओं की संख्या लगभग 48 हजार है, ब्राम्हणों की संख्या 40 हजार, वैश्य समाज की संख्या 15 हजार एवं कायश्त समाज की संख्या लगभग 5 जबकि राठौर समाज की संख्या लगभग 35 हजार है। इसी तरह सपा के आधार वोट यादव मतदाता की जनसंख्या लगभग 15 हजार है जबकि अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या 25 हजार के आस-पास है।

यदि पिछडी और अति पिछडी जातियों का वोट यदि उन्हें मिल जाता है और कांग्रेस के पूर्व विधायक विनोद चतुर्वेदी जो सपा से कालपी विधानसभा के प्रत्याशी है, यदि राघवेन्द्र प्रताप सिंह को 15 से 20 प्रतिशत वोट भी ब्राम्हणों के दिला देते है तो राघवेन्द्र सिंह चुनाव जीतने की स्थिति में आ जायेगे। जहां निर्वतमान भाजपा विधायक मूलचंन्द्र निरजंन का सवाल है उनकी बिरादरी का आधार वोट 15 हजार है उन्हें पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान ठाकुर, ब्राम्हण और यहां तक निरजंन बाहुल्य वाले गांव से नाराज मतदाताओं ने उन्हें खदेडा है। पार्टी नेतृत्व ने डैमेज कंट्रोल के लिए ठाकुर बिरादरी के सर्वमान्य नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की माधौगढ एवं कालपी में सभाऐं लगाने निर्णय लिया है लेकिन उनका विरोध थमना नजर नहीं आ रहा है।

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उधर कांग्रेस ने युवा चेहरा सिद्धार्थ दिगोलिया को चेहरा बनाया है जो इस जिले के जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे और अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर रहे रामकुमार दिगौलिया का पौत्र है जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने ब्राम्हणों को अपने पक्ष में करने के लिए महर्षि परशुराम की मूर्तियां लगाने और ब्राम्हणों का आकृर्षित करने प्रदेश में प्रबुद्धवर्ग सम्मेलन कराये जिससे ब्राम्हण आकृर्षित हुआ है यदि ब्राम्हणों पर इसका प्रभाव पडा है तो सपा को इसका लाभ मिल सकता है। उधर ब्राम्हणों के बडे नेता विनोद चतुर्वेदी को सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कालपी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर जिले के ब्राम्हणों का सपा की ओर आकृर्षित किया है।

इसी तरह कालपी विधानसीट में मुख्य मुकाबला बसपा प्रत्याशी श्याम पाल उर्फ छुन्ना पाल तथा सपा प्रत्याशी पूर्व विधायक विनायक चतुर्वेदी के बीच होता नजर आ रहा है। इस विधानसभा सीट में चौरासी क्षेत्र के ठाकुरों के 2 प्रत्याशी होने के कारण कांग्रेस के पूर्व विधायक उमाकांती सिंह तथा पूर्व विधायक और निषाद पार्टी से प्रत्याशी छोटे सिंह चौहान के बीच 35 हजार वोटों का बटवारा होना है जबकि अन्य ठाकुरों की संख्या लगभग 40 हजार है अगर विनोद चतुर्वेदी की वजह से ब्राम्हणों के कुछ मतदाता माधौगढ में राघवेन्द्र प्रताप सिंह को वोट दे देते है तो राघवेन्द्र सिंह की वजह से तमाम ठाकुर बिरादरी के वोट विनोद चतुर्वेदी को वोट दे देते है तो विनोद चतुर्वेदी को ब्राम्हणों के आधार वोट लगभग 45 हजार, बसपा का आधार वोट यादव जो लगभग 35 हजार है मुस्लिम मतदाता जिनके जनसंख्या लगभग 40 हजार है के अलावा अन्य अतिपिछडी जातियां यदि जैसे प्रजापति, भानूप कठेरिया,  बसोर, मेहतर आदि जातियां यदि सपा प्रत्याशी को वोट करती है तो सपा प्रत्याशी की स्थिति मजबूत हो जायेगी इसी तरह बसपा प्रत्याशी श्याम पाल उर्फ छुन्ना पाल, पालों का आधार 40 और बसपा का आधार वोट दलित 60 हजार है लेकिन इस बार अल्पसंख्यकों का मन समाजवादी पार्टी की ओर है यह बसपा पार्टी के प्रत्याशी के लिए झटका है इसी तरह पूर्व विधायक छोटे सिंह जो इस विधानसभा मेें निषाद पार्टी के प्रत्याशी है इस विधानसभा में निषाद समाज का 20 से 25 हजार वोट है जबकि चौरासी के ठाकुरों का 35 हजार वोट है जिसमें बटवारा होना है क्योंकि उसमें दो प्रत्याशी हैं।

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पूर्व विधायक उमाकांती सिह जो चौरासी क्षेत्र की प्रत्याशी है चौरासी क्षेत्र के ठाकुरों तथा अन्य सवर्णो जिसमें ठाकुर, प्रजापति तथा अन्य पिछडी जातियां शामिल है यदि उनका वोट मिल जाता है तो उमाकांती सिंह और छोटे सिंह में जिस भी प्रत्याशी को चौरासी क्षेत्र को ज्यादा वोट मिलेगा वह मुकाबले का त्रिकोणीय बना देगा। इस विधानसभा क्षेत्र में वैश्य मतदाताओं की संख्या भी लगभग 20 हजार है यह देखना होगा कि वैश्य मतदाता किस ओर जाता है।

जालौन जिले के उरई सुरक्षित विधानसभा सीट में मुख्य मुकाबला भाजपा के निवर्तमान विधायक गोरीशंकर वर्मा तथा सपा के प्रत्याशी और पूर्व मंत्री दयाशंकर वर्मा के बीच होता नजर आ रहा है लेकिन वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी कांग्रेस की प्रत्याशी उर्मिला सोनकर खाबरी है जो पूर्व सांसद और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव बृजलाल खाबरी की पत्नि है वह इस जिले में एसडीएम, एडीएम के पद पर रही है लिहाजा उनका ग्रामीण इलाके में गहरा सम्पर्क, सम्बन्ध है वह बसपा के आधार वोट दलितों में भी सेधमारी कर रही है जिसके चलते बसपा प्रत्याशी जो रिश्ते मेें उनका भाई लगता है सतेन्द्र पाल मुख्य मुकाबले से बाहर होता नजर आ रहा है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि निवर्तमान विधायक भाजपा प्रत्याशी गौरीशंकर वर्मा को ठाकुर, ब्राम्हण, वैश्य, कायश्त, ओबीसी मे ंलोधी, पटेल तमाम पिछडी जातियों का वोट मिल रहा है जबकि उसकी अपनी कोरी बिरादरी में सपा के प्रत्याशी दयाशंकर वर्मा भी बटबारा कर रहे है। सपा प्रत्याशी दयाशंकर वर्मा को कोरी सपा का आधार यादव तथा मुस्लिम भी मिल रहा है जिससे वह भाजपा प्रत्याशी गोरीशंकर वर्मा के साथ मुख्य मुकाबले में है।

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