श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में जिला जज ने याचिका को किया मंजूर

श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर दो साल पुरानी याचिका को मथुरा की..

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में जिला जज ने याचिका को किया मंजूर

  • मथुरा के सिविल जज (सी.डि.) की अदालत में चलेगा श्रीकृष्ण जन्मभूमि का केस

श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर दो साल पुरानी याचिका को मथुरा की जिला अदालत ने गुरुवार को मंजूर कर लिया। अब सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद का केस चलेगा। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री की इस याचिका पर जिला जज राजीव भारती ने यह फैसला सुनाया।

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लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 को मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। उस वक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने यह याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता ना तो संस्था की पदाधिकारी हैं और ना ही जमीन की हकदार।

इसके बाद रंजना अग्निहोत्री ने 30 सितंबर 2020 को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने मांग की थी कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाया जाए। उन्होंने दावा किया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने यहां पर बने मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। इस मामले में वादी के साथ ही प्रतिवादी शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान (पूर्व में सेवा संघ), श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की सुनवाई पूरी हो गई थी।

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जिला जज ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि वाद को लेकर रंजना अग्निहोत्री की ओर से दाखिल अपील सुनवाई योग्य है। इसलिए इस वाद को आगे चलाया जाएगा। अब यह मामला सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) की अदालत में चलेगा। इस प्रकरण में रंजना अग्निहोत्री के अलावा दस अन्य वाद भी अदालत में दाखिल हैं। ये वाद सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) में लंबित हैं।

उल्लेखनीय है कि रामलला विराजमान की तर्ज पर श्रीकृष्ण विराजमान की अंतरंग सखी के रूप में रंजना अग्निहोत्री ने वाद दाखिल किया। इस वाद पर रिवीजन के तौर पर अक्टूबर 2020 से 5 मई 2022 तक अलग-अलग तारीखों पर बहस हुई। पांच मई को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने इसे स्वीकार करने या न करने को लेकर 19 मई की तारीख दी थी।

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हि.स

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