कोरोना ने बदल दिया बांदा की 147 किशोरियों में जीने का अंदाज

वैश्विक महामारी कोविड-19 ने बहुत सी जिंदगियां बदल दी हैं लोगों को परिवार की अहमियत का भी एहसास हो गया है। साफ सफाई और बार-बार हाथ..

Nov 5, 2020 - 16:21
Nov 5, 2020 - 16:51
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कोरोना ने बदल दिया बांदा की 147 किशोरियों में जीने का अंदाज

किशोरियां अब घर के सदस्यों को भी देने लगीं सीख 

वैश्विक महामारी कोविड-19 ने बहुत सी जिंदगियां बदल दी हैं। लोगों को परिवार की अहमियत का भी एहसास हो गया है। साफ-सफाई और बार-बार हाथ धोने की आदत भी बन गयी है। महिला उत्पीडन व स्वास्थ्य पर काम कर रही संस्था वनांगना की वरिष्ठ संदर्भदाता समूह शबीना मुमताज बताती हैं कि ऐसे कई बदलाव उनकी जिंदगी में भी आए। अब वह गांवों में किशोरियों को भी यही आदत डालने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनकी यह मुहिम सफल भी हो रही है।

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वनांगना संस्था नरैनी के मुस्लिम बहुल  गांव जमवारा, गोरेपुरवा, लहुरेटा, कलरा, बड़ोखर ब्लाक के छनेहरा में स्कूल छोड़ चुकी  किशोरियों को निःशुल्क शिक्षा देने का काम करती है। इन गांवों की 147 किशोरियां उनके सेंटर में पढ़ाई कर रही हैं। संस्था की ओर से उन्हें मुफ्त किताबें, कापी, पेंसिल, बस्ता सहित अन्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। विभिन्न गतिविधियों के जरिए उन्हें अपनी बात रखने का तरीका भी बताया जाता है।

शबीना बताती हैं कि कोविड-19 से पहले एक सेंटर में 30 किशोरियों के बैठने व्यवस्था थी। लेकिन अब कोविड की वजह से एक की जगह दो सेंटर बनाए गए है, जहां 15-15 के समूह में किशोरियों को शारीरिक  दूरी का पालन करते हुये  बैठाया जाता है।

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शबीना मुमताज बताती हैं कि कोरोना काल में कुछ नयी आदतों को हमने अपने जीवन में आत्मसात कर लिया है, जैसे  बाहर से घर लौटने पर जूते-चप्पल घर के बाहर उतारना, अंदर आते ही अपने हाथ, पैर और चेहरा अच्छे से स्वच्छ करना,सुबह के अलावा शाम को घर लौटकर नहाना आदि। संक्रमण से बचने के लिए किशोरियों को भी इन्ही आदतों के बारें में बताया जा रहा है। अब यह बदलाव किशोरियों में भी देखने को मिल रहे हैं।

किशोरियां मास्क और सेनेटाइजर का उपयोग करने लगी हैं। खुद से सामाजिक दूरी बनाकर बैठने लगी हैं। घरों में अपने माता-पिता व छोटे भाई-बहनों को भी यही सीख देने लगी हैं।  

अभिवादन के तरीके में आया बदलाव

शबीना बताती हैं कि कोरोना वायरस के फैलने के बाद अभिवादन का तरीका बदल दिया है। अपने सीनियर व गांवों में किशोरियों से हाथ मिलाकर उनका अभिवादन करती थीं। लेकिन बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उन्होंने खुद दूर से हाथ जोड़कर अभिवादन करने की आदत डाल ली है।

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साथ ही गांव में संचालित सेंटरों में किशोरियों को एक-दूसरे से हाथ मिलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। शुरू में यह बात किशोरियों को अच्छी नहीं लगी। लेकिन जब कोरोना के प्रति उनकी समझ का दायरा बढ़ा और संक्रमण से नुकसान के बारे में जानकारी हुई तो अब वह खुद भी हाथ मिलाने से परहेज करने लगी हैं।

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